मायावती के कार्यकाल में शहर की सबसे नामचीन और अच्छी बिल्डर कंपनी की पहचान बनाने वाली ‘थ्री सी’ के तीन निदेशकों की गिरफ्तारी से समूचा रियल एस्टेट सेक्टर हिल गया है। बेहतरीन लोकेशन और उच्च निर्माण गुणवत्ता वाली बिल्डर के एकाएक धोखेबाज कंपनी बन जाना निवेशकों के गले नहीं उतर रहा है। यह भी तब, जब प्राधिकरण के अलावा रेरा और खरीदारों से बातचीत वाले मंच भी मौजूदा सरकार के कार्यकाल में काम कर रहे हैं। भारी वित्तीय अनियमितताओं के चलते दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने थ्री सी कंपनी के तीन निदेशक विदुर भारद्वाज, निर्मल सिंह और सुरप्रीत सिंह को शनिवार को दिल्ली से गिरफ्तार किया। आर्थिक अपराध शाखा ने मार्च 2018 में खरीदारों की शिकायत पर केस दर्ज किया था।
मामले के सुर्खियों में आने पर रेरा ने भी कंपनी पर गुमराह करने का आरोप लगाया है। आर्थिक अपराध शाखा के आपराधिक मामले की जांच के अलावा रेरा अपने स्तर से अलग कार्यवाही करेगा लेकिन अहम सवाल, बिल्डरों को खरीदारों के शोषण समेत हर मामले में खुली छूट देने में नाकाम रहने वाले प्राधिकरण के संबंधित अधिकारियों के किरदार पर कोई चर्चा नहीं है। खरीदारों का आरोप है कि प्राधिकरण ने समय रहते आंखें बंद रखी। आर्थिक अपराध शाखा ने जिन्हें गिरफ्तार किया है, उन पर सेक्टर- 107 में लोटस-300 परियोजना के खरीदारों के साथ ठगी करने का आरोप है। 2010 में प्राधिकरण ने लीज की थी और कंपनी ने 2014 में खरीदारों को कब्जा देने का दावा किया था।
परियोजना को लुभावनी दिखाकर बिल्डर कंपनी करीब 325 लोगों से 636 करोड़ रुपए जमा करवाए थे। इसी रकम से 191 करोड़ रुपए दूसरी कंपनी में लगाने का पता चला है। रकम के इधर से उधर होने पर परियोजना में कुल छह टॉवर बने हैं, जो पूरी तरह से तैयार नहीं हुए हैं। मेहनत की कमाई फंसा चुके खरीदारों ने खुद कंपनी के वित्तीय लेखा- जोखा के बारे में जानकारी जुटाई। जिसमें पता चला कि 191 करोड़ रुपए ऐसी कंपनी में लगाए गए हैं, जो निर्माण क्षेत्र से जुड़ी ही नहीं है। आरोप है कि रकम दूसरे देश भेजी गई है। इसी बीच दिसंबर 2017 में मौजूदा योगी कार्यकाल में लोटस- 300 परियोजना के खरीदारों की बिल्डर व प्राधिकरण अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। इसमें समूह की दो अन्य परियोजना लोटस बुलेवर्ड और जिंग के खरीदार भी शामिल थे। बैठक में खरीदारों ने आरोप लगाया था कि बिल्डर 300 की जगह नक्शे में बदलाव कर 36 अतिरिक्त फ्लैट बना रहा है। यहां भी रकम को अन्यत्र भेजने की बात कही गई थी। जिसके लिए प्राधिकरण अधिकारियों ने बिल्डर का वित्तीय ऑडिट कराने का आश्वासन देकर मामला टाल दिया था।
प्राधिकरण की नोटिस के जवाब में कंपनी ने माना रकम दूसरी जगह भेजी गई
ऑडिट रिपोर्ट में रकम इधर से उधर करने के आरोप में चिह्नित 14 परियोजनाओं के लिए 4 बिल्डर कंपनियों ने अपना जवाब प्राधिकरण को दे दिया है। बिल्डर कंपनियों ने अपने स्तर से रकम का इंतजाम कर करीब 8 परियोजनाएं पूरा करने का दावा है। थ्री सी बिल्डर ने भी अपना जवाब दिया है। इसमें तीन परियोजनाओं की रकम को दूसरी जगह इस्तेमाल करने की बात मानी है। हालांकि इन परियोजनाओं के लिए रकम अपने स्तर से जुटाकर पूरा करने की बात कही है।