कर्नाटक में एक ऐसा मामला समाने आया है, जिसने सांप्रदायिक सौहार्द और सभी धर्मों के बीच सम्मान व विश्वास बढ़ाने का काम किया है। यह मामला है एक ब्राह्मण लड़के का चार सालों से आश्रय गृह में रह रही एक मुस्लिम लड़की को अपना बनाने का। धर्म व मजहब से उपर उठकर लड़के ने इसके लिए अपने परिवार को भी राजी कर लिया। एक सादे समारोह में दोनों सदा के लिए एक दूसरे के हो गए। लड़के का नाम विक्रम है, वहीं लड़की का शबाना। लोग अक्सर ये कहते हैं कि जोडि़यां स्वर्ग में बनती है। विक्रम और शबाना ने इस बात सही साबित कर दिखाया है। कलबुर्गी जिले में हाल ही में दोनों शादी के बंधन में बंधे हैं।

महिलाओं से लिए लिए बने आश्रयगृह में पिछले चार सालों से रहने वाली शबाना रहमत हुसैन को यह विश्वास नहीं था कि उसकी जिंदगी में खुशी का एक ऐसा दिन भी आयेगा। बिदार जिले के एक ब्रह्माण परिवार के शिवाजी विक्रम एक सही जीवनसाथी पाकर खुश हैं। कालाबुर्गी के महिला आश्रयगृह में दो धर्मों के मिलन के लिए एक साधारण समारोह का आयोजन कर जश्न मनाया गया। इस बाबत विक्रम ने बताया कि वह ब्राह्म्ण परिवार से है और शबाना मुस्लिम परिवार से। ऐसे में धर्म से उपर उठकर शादी करना आसान नहीं होता। पहले ख्याल आया कि समाज और घर वाले इस रिश्ते के लिए राजी होंगे या नहीं? बाद में ठान ली कि शादी शबाना से ही करनी है। इसके लिए घरवालों को समझाने की कोशिश की। उन्हें अपने प्यार के बारे में बताया। ऐसे में जब पहली बार लड़की और उसके धर्म के बारे में अपने परिवारवालों को बताया, तो उनलोगों ने दो धर्मों के इस अंतर विश्वास को एक साथ आने का मौका दिया। वे अासानी से मेरी पसंद को मान गए और पूरी रीति-रिवाज के साथ शादी करने की व्यवस्था की।

विक्रम अपने जिले बिदार में ही सूक्ष्म सिंचाई उपकरण का व्यवसाय चलाता है। उसके लिए उसका व्यापार और अपनी पत्नी के लिए प्यार धर्म और समुदाय के बंधन से उपर है। इस तरह की प्यार की कहानियां और अंतर-विश्वास सद्भाव की बातें देश के सभी कोनों में सुनाई जा सकती है। इससे न सिर्फ सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश में सभी धर्मों के बीच सम्मान व विश्वास भी बढ़ेगा।