कोलकाता का एक पोलियोग्रस्त बच्चा जिसे उसके माता-पिता ने छोड़ दिया था, अब वह लंदन से अप्रवासी भारतीय के तौर पर अपनी जड़ें खोजने और दिवंगत नन को श्रृद्धांजलि अर्पित करने भारत लौटा है। मदर टेरेसा को अगले महीने संत की उपाधि दी जाएगी। 39 वर्षीय गौतम लुईस को आज भी बैसाखियों का सहारा लेना पड़ता है। उन्हें ब्रिटेन के एक परमाणु भौतिकविज्ञानी ने मिशिनरीज आॅफ चेरिटी से गोद लिया था। आज गौतम पेशेवर पायलट हैं और लंदन में विकलांग पायलटों के लिए प्रशिक्षण स्कूल भी चलाते हैं।
वे कोलकाता में फिल्म शो आयोजित करेंगे और फोटो प्रदर्शनी भी लगाऐंगे। यहीं पर उनका जन्म हुआ था और इसी शहर में मदर ने जीवनभर काम भी किया। इस शुक्रवार से शुरू हो रहे मदर टेरेसा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के तहत लुईस द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री ‘मदर टेरेसा ऐंड मी’ यहां के नंदन मल्टीप्लेक्स में दिखाई जाएगी।
लुईस ने बताया, ‘‘यह फिल्म उस महिला के जीवन पर आधारित है जिन्हें मैं अपनी दूसरी मां कहता हूं क्योंकि उन्होंने और अन्य ननों ने ही मुझे बचाया था। वे उपनगरीय हावड़ा में बच्चों के उस पुनर्वास केंद्र में भी गए जहां वे दो साल तक रहे थे। तब उनकी उम्र तीन वर्ष थी। सात वर्ष की उम्र में उन्हें गोद ले लिया गया था। उनकी फोटो प्रदर्शनी का नाम होगा ‘मेमोरीज आॅफ मदर टेरेसा’। लुईस यूनेस्को की ग्लोबल पोलियो इरेडिकेशन पहल के दूत भी हैं।
