दीप मुखर्जी

राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बीजेपी के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद पार्टी में उठा-पटक का दौर जारी है। सोमवार को कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र गोयल के इस्तीफे के बाद नागौर से विधायक हबीब-उर-रहमान ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है। गौरतलब है कि रहमान और गोयल का नाम रविवार को जारी 131 उम्मीदवारों की सूची में नहीं था। रहमान की जगह अब मोहन राम चौधरी को नागौर से मौका दिया गया है।

हबीब-उर-रहमान ने पार्टी छोड़ने के साथ ही बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बीजेपी में मुसलमानों को टिकट नहीं देने की पॉलिसी बन गयी है। रहमान ने कहा,” मैंने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है। जब पार्टी में मुस्लिमों को टिकट नहीं देने की पॉलिसी बन जाए तो फिर क्या कह सकते हैं। मैंने टिकट हासिल करने के लिए कोई भी ग़लत तरीका नहीं अपनाया है। मैं आगे की रणनीति अपने कार्यकर्ताओं से मिलने के बाद ही तय करूंगा।”

राजस्थान सरकार में सिर्फ दो ही मुसलमान नाम प्रभावी रहे हैं। इनमें से रहमान के अलावा दूसरा नाम यूनुस ख़ान का है। यूनुस ख़ान को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का बेहद ख़ास माना जाता है। लेकिन, उन्हें भी टिकट से महरूम रखा गया है।

हालांकि, पांच बार विधायक रहे हबीब-उर-रहमान किस तरफ अपना राजनीतिक रफ्तार पकड़ेंगे यह साफ नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि रहमान का नाता कांग्रेस से भी रह चुका है। 2008 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे। उस दौरान बीजेपी की हार के बावजूद वह अपना चुनाव जीत गए थे। इसके बाद 2013 विधानसभा चुनाव में भी नागौर से ही लगातार चुनाव जीते थे। इन सबके बीच रहमान खामोश हैं और अपने पत्ते नहीं खोल रहे। लेकिन, सूत्र बता रहे हैं कि वह कांग्रेस या राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं।