कर्नाटक के मैसूरू में दलितों के उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला महिषा दासरा उत्सव को को बंद कराने पर बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा को शुक्रवार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। वेदों में बताया गया है कि महिषासुर एक राक्षस राजा थे, जिसे देवी चामुंडेश्वरी ने मार डाला था। हालांकि दलितों का कहना है कि वेदों की बात सिर्फ काल्पनिक है। वह राक्षस नहीं थे। क
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में मना करते दिखे – सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक वीडियो में नाराज सिम्हा अधिकारियों को महिषा दासरा उत्सव को मनाने के लिए पंडाल लगाने पर फटकार लगाते दिख रहे थे। उन्होंने आयोजकों से इसकी अनुमति के बारे में सवाल भी पूछे। सिम्हा ने कहा कि उन्हें चामुंडी पहाड़ी पर जुटने की अनुमति नहीं है। उसके बाद उन्होंने पुलिस से कहा कि क्षेत्र को खाली करा लिया जाए और जो लोग महिषा में जन्म लिए हैं, वे अपने घरों में उत्सव मनाएं।
महिषा को एक बौद्ध राजा बताया गया –दरअसल महिषा दासरा समिति में कई दलित संगठनों के सदस्य भी शामिल हैं। आयोजकों में से एक शांताराजू ने कहा कि पिछले छह वर्षों से इवेंट बिना किसी विवाद के होता रहा है। उन्होंने कहा कि “अतीत में ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी। हमारे पास यह दिखाने के लिए ऐतिहासिक प्रमाण है कि महिषा एक बौद्ध राजा था और 300 साल पहले से चामुंडी के लिए कोई ऐतिहासिक संदर्भ नहीं हैं।”
National Hindi News, 28 September 2019 LIVE Updates, Breaking News: पढ़ें आज की बड़ी खबरें
मैसूरु का नाम महिषा के नाम पर पड़ा –शांताराजू ने कहा, “हमारा तर्क है कि मैसूरु का नाम महिषा के नाम पर रखा गया है और हम इस भूमि के मूल निवासी हैं और हम इसका जश्न मना रहे हैं।” उन्होंने कहा “चामुंडी पहाड़ियों को वास्तव में महाबलदरी पहाड़ी कहा जाता था और चामुंडेश्वरी मंदिर के पीछे एक मंदिर है जो इसे साबित करता है,” कहा। “मैसूरु के उर्स राजा ने लगभग 350 साल पहले इस धारणा को पेश किया था,”।
पहले भी हुए हैं विवाद – इस घटना से केरल में कुछ साल पहले विवाद हुआ था, जब बीजेपी ने ओणम को वामन जयंती के रूप में मनाने की कोशिश की थी। उस वक्त उन्होंने इसे पारंपरिक रूप से असुर राजा महाबली के सम्मान में मनाया था। फिलहाल इस मुद्दे ने नए विवाद को जन्म दे दिया है। इसको लेकर मैसूरू में नया आंदोलन शुरू हो सकता है।