बिहार की इकलौती घोषित स्मार्ट सिटी भागलपुर में बीते 35 साल से शहर का कचरा फेंकने के लिए डंपिंग ग्राउंड तक नहीं है। कचरा जमा करने के लिए जगह उपलब्ध कराना जिलाधिकारी की जिम्मेदारी होती है और कचरा नियंत्रण की योजना नगर निगम, नगर परिषद, पंचायत स्तर पर बननी है। यह काम मार्च 2017 यानी अगले महीने तक करना है। वरना, जिम्मेदार अफसरों या प्रबंधकर्ता पर कानून का डंडा चलेगा। ये बात गुरुवार को भागलपुर में आयोजित ठोस कचरा नियंत्रण विषय सेमीनार में कही गई। इसका आयोजन बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने किया था। सेमीनार में जिले के सिविल सर्जन, महशूर डॉक्टर, एनटीपीसी के अधिकारी, नगर निगम के अफसर, पुलिस के अफसर और अन्य गणमान्य लोगों ने शिरकत की। सेमीनार का मकसद कचरा नियंत्रण के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी नवीन कुमार ने बताया कि ऐसा आयोजन पटना और दूसरे जिलों में भी किया जाएगा।
सेमीनार में स्लाइड शो के जरिए लोगों को कचरा नियंत्रण के कानून और जिम्मेदारियों से अवगत कराया गया। इस मौके पर कुमार ने कहा कि कारखानों से निकलने वाले कचरे हों या नर्सिंग होम, अस्पताल या घरों के कचरे हों, सभी को इसके नियंत्रण के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि यह आसानी से संभव है, इसके लिए केवल मन बनाना पड़ेगा। वायु प्रदूषण हो या ध्वनि प्रदूषण, सभी मानव जीवन के लिए आज बड़ी परेशानी की वजह हैं।

एक मिसाल के तौर पर बताया गया कि देश के 168869 निजी या सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से 484 टन बायोमेडिकल कचरा रोजाना निकलता है। इसके नियंत्रण का कोई इंतजाम केंद्रों ने नहीं किया है। इधर-उधर फेंकने से बीमारियां फैल रही हैं जो खतरनाक है। चूहे के प्रकोप का हश्र बीते कुछ सालों पहले गुजरात के सूरत शहर में फैली प्लेग की बीमारी के रूप में लोग झेल चुके हैं। इसलिए कचरे को डब्बे में ही डालने की आदत बनानी चाहिए और दरवाजे-दरवाजे उसे इकठ्ठा कर ले जाने का इंतजाम नगर निगम, नगर परिषद या पंचायतों का करना चाहिए। समय रहते यह करना ही होगा वरना कानून अपना काम करेगा।
कचरा डंपिंग स्टेशन का चुनाव करने में डीएम को कुछ बातें ध्यान में रखनी होगी। यह नदी से एक सौ मीटर दूर हो, तालाब से दो सौ मीटर, इतनी ही दूरी हाईवे, पार्क और जलापूर्ति करने वाले कुंए से होनी जरूरी है। हवाई अड्डे से 20 किलोमीटर दूर के अलावे बाढ़ग्रस्त इलाका नहीं होना चाहिए। इतना ही नहीं जहां कचरा डंप किया जाना है वहां बाढ़ बीते 100 साल में भी न आई हो। सेमीनार में शरीक होने आए निगम के एक अधिकारी ने भरी सभा में यह कहकर सब को हक्का बक्का कर दिया कि भागलपुर स्मार्ट सिटी में बीते 35 साल से डंपिंग ग्राउंड नहीं है। 4 महीने से निगम कर्मियों को तनख्वाह और पेंशन नहीं मिली है। यह जान एक दफा तो मौजूद सभी लोग हैरत में पड़ गए। धीरे से बोले वाह स्मार्ट सिटी भागलपुर।