उरी हमले में शहीद हुए नायक सुनील कुमार विद्यार्थी दशहरे पर घर आने की बात कहकर ढाई महीने पहले वापस ड्यूटी पर गए थे। लेकिन वे अपना वादा नहीं निभा सके और देश के लिए कुर्बान हो गए। पटना से 117 किेलोमीटर दक्षिण में गया जिले के बोकनारी गांव में मातम पसरा है। सुनील की बड़ी बेटी ने कहा कि उनके पिता के कातिलों को सजा मिलनी चाहिए। इस दौरान लगातार उनकी आंखों से आंसू बहते रहे। आरती ने कहा, ”जैसे पाकिस्‍तान हमले करता है वैसे ही हमें हमले करने होंगे। जब तक हम हमला नहीं करेंगे पाकिस्‍तान कभी सबक नहीं सीखेगा।” वे कहती हैं कि उन्‍हें गर्व है कि उनके पिता देश के काम आए। सुनील कुमार ने 1998 में आर्मी ज्वॉइन की थी। 3 महीने पहले ही उनकी पोस्टिंग जम्मू हुई थी। सुनील की तीन बेटियां और 2 साल का एक बेटा है।

आंसुओं को रोक पाने में नाकाम शहीद के पिता मथुरा यादव ने बताया, ”ढाई महीने पहले जब मेरा बेटा बोकनारी आया था तब उसने पूरे परिवार के साथ दशहरा मनाने का वादा किया था। उन्‍होंने वादा किया था कि दशहरे की छुट्टी के दौरान पैतृक घर को ठीक कराएंगे। लेकिन भगवान की कुछ और ही मर्जी थी।” सुनील कुमार की मां की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रही है। वे बार-बार बेसुध हो जाती हैं और होश आने पर बेटे को बुलाती हैं। वे कहती हैं, ”मेरे लाल बाबू को बुलाओ… सब झूठ बोल रहे हैं। मेरा बाबू लड़ाई पर गया है। वो दशहरे में जरूर आएगा।” आरती ने बताया, ”रविवार को शाम छह बजे दानापुर कैंटीन से फोन आया। मेरी मां ने हमे इस आपदा के बारे में बताया। हमने तुरंत दादाजी को बताया।”

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सुनील कुमार की छोटी बेटी अंशु डीएवी कैंट में छठी कक्षा में पढ़ती हैं। गांव के नौजवान राहुल ने बताया, ”लाल बाबू हमारे गांव के हीरो और यहां के नौजवानों की प्रेरणा थे। स्‍कूल से लेकर कॉलेज तक वे शानदार छात्र थे। वे युवाओं को फौज में जाने को प्रेरित करते थे। उनका कहना था कि देश सेवा के लिए यह श्रेष्‍ठ रास्‍ता है।” उरी हमले में बिहार के तीन जवान शहीद हुए हैं। इस हमले में कुल 18 जवान शहीद हुए हैं।

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