सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पटना हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें भाजपा सांसद छेदी पासवान के चुनाव को खारिज कर दिया गया था। साथ ही शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि वह इस बात पर गौर करेगा कि क्या राजनीतिक नेताओं को नामांकन पत्र भरते समय हर अपराध का अनिवार्य रूप से उल्लेख करना होगा या केवल उनके खिलाफ दर्ज जघन्य अपराधों के बारे में बताना होगा। न्यायालय ने यह टिप्पणी हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाते हुए की जिसमें सासाराम (सुरक्षित) लोकसभा सीट से पासवान के चुनाव को इसलिए खारिज कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामले के ब्योरे को दबा दिया था। पासवान ने 2014 के आम चुनाव में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को पराजित किया था।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति पीसी पंत के पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए कहा-हमें गहराई में जाना होगा। यह एक गंभीर मुद्दा है। हमें यह देखना होगा कि क्या पूर्व आदेश के तहत प्रत्येक अपराध आएगा या केवल गंभीर अपराध आएंगे। पासवान की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि उनके पास तीन मामले हैं जिनमें से दो मामलों में छह माह की सजा है और तीसरा मामला प्रदर्शन के दौरान यातायात अवरुद्ध करने का है।
साल्वे ने कहा कि इस प्रकार के अपराधों का खुलासा नहीं करने को ‘कदाचार’ नहीं कहा जा सकता। गंगा मिश्रा की ओर से वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथ ने कहा कि पासवान ने 2010 के चुनावी हलफनामे में इस अपराध का उल्लेख किया था किंतु उन्होंने 2014 आम चुनाव में इसका खुलासा नहीं किया। उन्होंने कहा कि शीर्ष न्यायालय के पूर्व आदेश के अनुसार चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सभी अपराधों को अनिवार्य रूप से घोषित करना होता है।
पीठ ने कहा, यहां सवाल है कि प्रदर्शन के दौरान सड़क बाधित करने के लिए एक राजनीतिक नेता के खिलाफ आपराधिक मामले में आरोपपत्र दाखिल किए जाते हैं, किंतु आरोप तय नहीं होते। क्या यह एक राजनेता द्वारा नामांकन पत्र में तथ्यों का छिपाना नहीं है जिससे मतदाता समझ-बूझकरअपनी पसंद तय करने से वंचित हो जाता है। पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई को जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया। शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल पांच फरवरी को व्यवस्था दी थी कि एक प्रत्याशी, जिसने नामांकन प्रक्रिया के दौरान अपने आपराधिक अतीत को छिपाया था, उसका चुनाव रद्द कर दिया जाएगा। उच्च न्यायालय ने 28 जुलाई को मतदाता गंगा मिश्रा की याचिका पर पासवान के चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया था।
