राज्य की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी पुलिसकर्मियों के कंधे पर होती है। बिहार के पुलिसकर्मी इसके अलावा एक और जिम्मेदारी निभा रहे हैं, यह जिम्मेदारी सड़क पर कूड़ा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाने की है। बिहार के गया जिले के प्रवीण कुमार बच्चों के लिए पुलिसवाले नहीं बल्कि उनके मास्टर हैं। वह इन बच्चों को शिक्षित करके उनका जीवन संवारना चाहते हैं। प्रवीण कुमार ने बताया कि मुझे इन बच्चों को शिक्षित करने का निर्देश मिला है। इसके अलावा डीएसपी और इंस्पेक्टर भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वहीं, प्रवीण की ‘स्टूडेंट’ सुमन ने कहा कि हम कूड़ा बिनने वाले हैं लेकिन हम अब यहां पढ़ाई कर रहे हैं। मैं भी एक दिन पुलिस सेवा में जाना चाहती हूं। फोटो में पुलिसकर्मी बच्चों को रेलवे स्टेशन पर पढ़ाते हुए नजर आ रहा है।
ऐसी ही एक पहल बिहार के पूर्णिया जिले में भी सामने आई है। बिहार के पूर्णिया जिला में अपनी ड्यूटी से फुर्सत पाने के बाद पुलिसकर्मी दूरदराज इलाके में अशिक्षित बच्चों और व्यस्कों को पढाने के लिए ‘शाम की पाठशाला’ लगाते हैं। पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक निशांत तिवारी और अन्य पुलिसकर्मी द्वारा हरदा, बायसी और अन्य गांवों में अशिक्षित बच्चों और व्यस्कों को बुनियादी तालीम देने के लिए शाम की पाठशाला लगायी जाती है। तिवारी ने बताया कि जब भी उन्हें अपने काम से फुर्सत मिलती है तो अशिक्षित बच्चों और व्यस्कों को बुनियादी तालीम देने के लिए ऐसी शाम में चलाए जाने वाले स्कूल में भाग लेते हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य उन्हें मुख्यधारा से जोडना है।
पूर्णिया जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित हरदा गांव में लगायी गयी ऐसी ही एक शाम की पाठशाला में कल निशांत तिवारी और पुलिस उपमहानिरीक्षक उपेंद्र सिन्हा ने भाग लिया। तिवारी ने बताया कि प्रदेश में शराबबंदी का असर दिख रहा है। कई व्यस्क जो कि शराब छोडने के बाद ऐसे स्कूलों में एक छात्र के तौर पर अपना समय दे रहे हैं। वहीं कई शिक्षक के तौर पर भी अपना योगदान दे रहे हैं।
Bihar: Policeman Praveen Kumar turns 'teacher' for children working as rag pickers in Gaya. pic.twitter.com/rROHFG6bzw
— ANI (@ANI) November 15, 2016
We are rag pickers, but now we are studying here. I wish to get into the police service some day: Suman (being taught by the policeman) pic.twitter.com/mjXp6uP8bo
— ANI (@ANI) November 15, 2016
पुलिस उपमहानिरीक्षक ने बताया कि कुछ स्वयं सेवी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस तरह के स्कूल के स्थायी संचालन के लिए लगाया गया है। उन्होंने बताया कि हरदा गांव में दरभंगा, मधुबनी और अन्य स्थानों के करीब 100 मजदूर परिवार मखाना की खेती में लगे हुए हैं जिनके बच्चों को शाम की इन पाठशालों में आने के लिए प्रेरित किया जाता है। उपेंद्र ने बताया कि इस नेक काम के प्रति जो पुलिसकर्मी इच्छुक हैं वे मुफ्त अपना योगदान दे रहे हैं तथा पढा रहे हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इन पाठशालों में पढने वाले बच्चों और व्यस्कों को मुफ्त किताब, कापी, पेंसिल और खेल की सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने बताया कि पुलिसकमिर्यों के लोगों के करीब आने से पुलिसिंग के कार्य में मदद मिलती है।
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