दुनिया भर से लोग गुरू गोबिंद सिंह की 350वीं जयती मना रहे हैं। गुरू गोविंद की जयती को प्रकाशपर्व के रूप में भी जाना जाता है। गुरू गोबिंद सिंह सिक्खों के 10वें गुरू हैं वह आध्यात्मिक गुरू, दर्शनशास्त्री और कवि थे। उन्होंने अन्याय, सामाजिक भेदभाव और अत्यारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। धर्म की स्थापना के लिए उन्होंने अपने चार पुत्रों का बलिदान तक दे दिया था। गुरू गोबिंद सिंह ने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी। बिहार के पटना साहिब में उनके 350वां प्रकाशोत्सव मनाया जा रहा है जो कि उनका जन्म स्थान भी है। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा और भी नेता शामिल होंगे।

आज भी गुरू गोविंद सिंह के द्वारा बोले गए गुरू वचनों का याद किया जाता है। गुरू गोविंद सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव पर पढ़िए उनके द्वारा बोले गए कुछ अनमोल वचन।

चिडि़यों से मै बाज तड़ाऊं, सवा लाख से एक लड़ाऊं, तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊं

दुश्मन नाल साम, दाम, भेद, आदिक उपाय वर्तने अते उपरांत युद्ध करना: दुश्मन से भिड़ने पर पहले साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें, और अंत में ही आमने-सामने के युद्ध में पड़ें

किसी दि निंदा, चुगली, अतै इर्खा नै करना: किसी की चुगली-निंदा से बचें और किसी से ईर्ष्या करने के बजाय मेहनत करें

परदेसी, लोरवान, दुखी, अपंग, मानुख दि यथाशक्त सेवा करनी: किसी भी विदेशी नागरिक, दुखी व्यक्ति, विकलांग व जरूरतमंद शख्स की मदद जरूर करें

बचन करकै पालना: अपने सारे वादों पर खरा उतरने की कोशिश करें

शस्त्र विद्या अतै घोड़े दी सवारी दा अभ्यास करना: खुद को सुरक्षित रखने के लिए शारीरिक सौष्ठव, हथियार चलाने और घुड़सवारी की प्रैक्टिस जरूर करें और आज के संदर्भ में नियमित व्यायाम जरूर करें

जगत-जूठ तंबाकू बिखिया दी तियाग करना: किसी भी तरह के नशे और तंबाकू का सेवन न करें

इसके अलावा गुरू गोविंद सिंह ने सिक्ख धर्म के लोगों को पांच का अनुसरण करने को कहा था।  कड़ा, कंघी, केश न कटवाना, कच्छा और कृपाण जिसका अनुसरण सिक्ख समुदाय के लोग आज तक करते है।