नीतीश कुमार के शासनकाल में बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा असिस्टेन्ट प्रोफेसर की भर्ती में भारी अनियमितता बरतने के मामले उजागर हुए हैं। कई ऐसे लोगों को भर्ती करने की सिफारिश बीपीएससी ने की है जो पहले आयोग्य द्वारा अयोग्य करार दे दिए गए थे। अब ये लोग न सिर्फ भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए बल्कि वहां से सफल घोषित होकर विश्वविद्यालयों में पदस्थापित भी हो चुके हैं। एबीपी न्यूज ने महीने भर की गहन छानबीन के बाद यह उजागर किया है कि कई ऐसे अभ्यर्थियों का भी चयन बीपीएससी ने किया है जिनका नाम पहले न तो योग्य, न ही अयोग्य और न ही विलंब से आए आवेदनों की लिस्ट में था लेकिन बाद में वो सीधे इंटरव्यू के लिए बुलाए गए और सफल भी करार दिए गए। चैनल के ऑपरेशन इंटरव्यू के मुताबिक छानबीन से पता चलता है कि अंतिम तिथि समाप्त हो जाने के काफी बाद और भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद कुछ लोगों को अनुचित तरीके से फायदा पहुंचाया गया है।
बी एन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा में विजय शंकर और अनामिका यादव दोनों अंग्रेजी के असिस्टेन्ट प्रोफेसर के पद पर बहाल हुए हैं। इन दोनों का नाम आयोग की अयोग्य उम्मीदवारों की लिस्ट में रखा था। इन दोनों ने न तो नेट या स्लेट पास किया था न ही पीएचडी की थी। बावजूद इसके इन दोनों ने इंटरव्यू दिया और दोनों ही सफल रहे। इसी तरह से मगध विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र विषय में बहाल हुए वीरेंद्र मंडल भी हैं। उनका नाम किसी लिस्ट में नहीं था। न तो योग्य उम्मीदवारों की लिस्ट में और न ही अयोग्य उम्मीदवारों की लिस्ट में। देर से प्राप्त हुए आवेदनों की लिस्ट में भी इनका नाम नहीं था। बावजूद इसके इंटरव्यू से कुछ दिन पहले इन्हें औपबंधिक रूप से योग्य करार देते हुए इंटरव्यू में शामिल किया गया और सफल करार दिए गए। जब इनसे पूछा गया तो मंडल ने बताया कि उनका आवेदन आयोग में प्राप्त नहीं हुआ था। बाद में आयोग ने उन्हें आवेदन करने को कहा और वो योग्य पाए गए। जबकि नियमानुसार अंतिम तारीख बीत जाने के बाद किसी भी सूरत में किसी का भी आवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यानी वीरेंद्र मंडल का चयन बीपीएससी में घपलेबाजी की ओर इशारा करता है।
#घंटीबजाओ: ऑपरेशन इंटरव्यू-बिहार लोक सेवा आयोग पर लगा असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में भारी धांधली का आरोप…देखिए @UtkarshABP की बड़ी रिपोर्टhttps://t.co/mZz4lLzzpR pic.twitter.com/7dZqLbUUnY
— ABP LIVE (@abplive) February 6, 2018
आयोग के पूर्व अध्यक्ष राम आश्रय यादव कहते हैं कि इस तरह से किसी भी आवेदन को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। अगर किसी कारणवश आवेदन स्वीकार किए जाते हैं तो उसकी सूचना सार्वजनिक की जानी चाहिए थी ताकि और लोग भी लाभान्वित हो सकें। उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि स्क्रूटनी में दूसरे विषय का आवेदन दूसरे विषय में जा सकता है लेकिन इससे कुल आवेदकों की संख्या नहीं बदली चाहिए। इसके अलावा आरक्षण नियमों को भी झुठलाने के आरोप बीपीएससी पर लगे हैं। एबीपी न्यूज ने जब इन सभी मसलों पर बीपीएससी से पक्ष जानना चाहा तो आयोग की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। बता दें कि साल 2014 में बीपीएससी ने अलग-अलग विषयों के लिए कुल 3,364 पदों पर विज्ञापन निकाला था। कई विषयों का रिजल्ट जारी हो चुका है जबकि कई विषयों में अभी रिजल्ट आना बाकी है। इससे पहले बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, बिहार कर्मचारी चयन आयोग में फर्जीवाड़ा उजागर हो चुका है।