बिहार में शराबबंदी के बाद जहां नए साल का जश्न फीका पड़ा रहा, वहीं पड़ोसी राज्य झारखंड के देवघर और वासुकीनाथ में खूब चहल-पहल रही। मंदिरों में लंबी-लंबी कतारें दिखीं। यहां अधिकांश श्रद्धालु बिहार से आए थे। पूजा के बाद और एक दिन पहले यानी साल के आखिरी दिन इनकी भीड़ शराब की दुकानों पर भी थी। शराब पीकर लोगों ने खूब मस्ती की मगर प्रशासन के लिए यह बड़ा सिरदर्द था। लिहाजा, दुमका और देवघर प्रशासन चाक चौबंद था।
दरअसल, बिहार में शराबबंदी के 21 महीने के दौरान कहीं पर खुलकर जश्न और शादी-ब्याह के मौके पर बारातियों को नागिन डांस करते कोई नजर नहीं आया। चोरी छिपे शराब बेचने और पीने के किस्से जरूर सुनने को मिले। ऐसे में लोगों को पुलिसिया कार्रवाई भी भुगतनी पड़ी। इनमें पुलिस वाले भी गिरफ्त में आए। इसी वजह से झारखंड से सटे बिहार के ज़िलों के शौकीन मिजाज लोगों ने नए साल पर खुलकर सांस ली। राज्य की सीमा पार कर इन लोगों ने खूब शराब पी।
इस संवाददाता ने जायजा लेने भागलपुर, बांका, वासुकीनाथ, दुमका और देवघर तक तकरीबन 200 किलोमीटर की यात्रा की। सावन महीने में बिहार का सुल्तानगंज से देवघर-वासुकीनाथ एक हो जाता है। श्रद्धालु उत्तरवाहिनी गंगा से कांवड़ में जल भरकर बाबा धाम पहुंच जलाभिषेक करते हैं। यह सिलसिला एक महीने चलता है। मगर दो रोज में हजारों की जुटी भीड़ तो सावन को भी मात दे गई। 31 दिसंबर की रात देवघर के टावर, वीआईपी, बैजनाथपुर सरीखे चौक, सड़कों, होटलों, रेस्तरां में तिल रखने की जगह नहीं थी। शराब में डूबे लोग मस्ती में रातभर झूमते नजर आए। नए साल की सुबह बाबा मंदिर में दर्शन करने की लंबी कतार दिखी फिर दिन में टुन्न। स्थानीय निवासियों ने भीड़ देख बाबा मंदिर जाने से परहेज किया।
देवघर शहर के बाग बगीचे और तपोवन, नंदन पहाड़, त्रिकुटी पहाड़ी, जसीडीह का आरोग्य आश्रम, वासुकीनाथ धाम के आसपास के पर्यटक केंद्र पिकनिक स्पॉट में तब्दील नजर आए। दुमका के मसान जोड़ पर्यटक केंद्र के मुकाबले तीर्थ स्थल पर ज्यादा भीड़ दिखी। असल में यहां मस्ती और पूजा दोनों हो गई। बिहार से आए पर्यटकों ने बताया कि यहां आकर पुण्य और सुकून दोनों मिला।
नए साल पर शराब की दुकानों पर भीड़ उमड़ेगी। इसका अंदाजा पहले से ही था। लिहाजा, झारखंड सरकार ने भी सख्ती दिखाते हुए पहले की तुलना में काफी कम शराब आवंटित की थी। वह भी शहर के बाहरी नुक्कड़ पर। कुछ महीने पहले तक देवघर में शराब दुकानों की भरमार थी। अब केवल तीन ही दिखी। इन तीनों ही दुकानों की सड़कों पर कड़ाके की ठंड के बाबजूद लंबी कतार लगी थी। ऐसी मारामारी पहले कभी नहीं देखी। लोग शराब के लिए ऐसे उतावले थे लगा इसके बगैर नया साल आएगा ही नहीं। ऐसा नहीं कि सारे बिहार से आए थे। बल्कि स्थानीय भी थे। जो देवघरिया बोली में बातचीत करते दिखे। रोहणी शराब दुकान के पास हाथ में लाठी लिए गोविंद केरकेटा नाम का कांस्टेबल हक्का बक्का तमाशबीन खड़ा मिला। रात के 9 बजे थे। यह थाना जसीडीह में पोस्टेड है। ऐसा बातचीत में बताया। वह बोला कोई लाईन में लगना ही नहीं चाहता। सभी शराब के लिए उतावले हैं।
बाबा वैद्यनाथ और वासुकीनाथ का दर्शन करने के मकसद से भी श्रद्धालु आए थे। इस मौसम में बंगाल से भी हरेक साल हुजूम आता है। देवघर के लोग इन्हें चेंजर बोलते हैं। मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ होने की एक वजह यह भी है मगर बिहार से आए ज्यादातर भक्तों का मकसद दोहरा था। मस्ती और पूजा। खैर जो हो, इन पर निगाह और अनहोनी टालने के मकसद से देवघर प्रशासन अलर्ट था। गाड़ियों के काफिले को व्यवस्थित रखने के लिए चौक चौराहों पर नो इंट्री के बोर्ड लगा पुलिस बल तैनात किए गए थे। पूजा में खलल न हो, इसके लिए कतार को काबू में करने के लिए जगह-जगह लाठीधारी कांस्टेबल मुस्तैद थे। बहरहाल, पुराना साल बीत गया और नया साल आ गया।
