झारखंड हाईकोर्ट से शुक्रवार को आरजेडी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को डोरंडा कोषागार मामले में जमानत मिल गई। इस मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने उन्हें 5 साल की सजा सुनाई थी जिसके खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में लालू यादव के वकील ने बीमारी होने की बात कहते हुए, उन्हें जमानत देने के लिए याचिका लगाई थी।

लालू यादव की जमानत याचिका का सीबीआई ने सजा पूरी न होने की बात कहते हुए विरोध किया लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलों को दरकिनार करते हुए 10 लाख रुपए के जुर्माने के साथ उन्हें जमानत दे दी।

139.5 करोड़ का डोरंडा कोषागार से अवैध निकाली का मामला चारा घोटाले से जुड़ा पांचवां और अंतिम मामला है जिसमें लालू प्रसाद यादव दोषी पाए गए थे। इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और बाकी अन्य दोषियों को फरवरी में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट द्वारा सजा सुनाई गई थी। इस केस में 99 दोषियों में से 24 को अपराध मुक्त कर दिया गया था जबकि 40 को 3 साल की सजा सुनाई गई थी।

बिहार के वरिष्ठ नेता लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले से जुड़े अलग-अलग चार मामलों में अब तक 14 साल की सजा हो चुकी है। आखिरी केस डोरंडा कोषागार से अवैध निकाली का मामला उस समय का है जब वह अविभाजित बिहार के सीएम थे। 22 साल चले लंबे ट्रायल में 55 दोषियों की मृत्यु हो चुकी है जबकि 8 लोग सरकारी गवाह बन चुके हैं और 6 लोग अभी भी फरार हैं।

चारा घोटाले को लेकर खुलासा सबसे पहले चाईबासा के डिप्टी कमिश्नर अमित खरे ने किया था। उन्होंने बताया था कि पशुपालन विभाग की ओर से अविभाजित बिहार के कई जिलों में फेक बिल बनाए गए थे, जिनका भुगतान सरकार की ओर से किया जा रहा था। उस समय बिहार सरकार में वित्त मंत्रालय भी लालू प्रसाद यादव के पास था।

लालू प्रसाद यादव को दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के चार मामलों में सजा होने के साथ कोर्ट ने अब तक उन पर 60 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जून 1997 में सीबीआई की जांच में लालू प्रसाद यादव को पहली बार दोषी पाया गया था।