राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी रविवार (2 अप्रैल) की शाम भागलपुर के कहलगांव एनटीपीसी हैलीपैड पर वायुसेना के हेलीकॉप्टर से उतरे। इसके बाद उन्होंने एनटीपीसी के मानसरोवर अतिथि गृह में रात्रि विश्राम किया। दूसरे दिन 10 बजकर 26 मिनट पर पुरातत्व महकमा की साइट पर गए, जहां पुरातत्विद विभाग की टीम द्वारा खुदाई चल रही है। फिर वो वायुसेना के हेलीकॉप्टर से विक्रमशिला विश्वविद्यालय पहुंचे। उन्होंने यहां के म्यूजियम और विक्रमशिला का भ्रमण किया। इससे पहले रविवार को ही देवघर में उन्होंने बाबा वैद्यनाथ धाम मंदिर जाकर दर्शन किया। इस दौरान उन्होंने बड़े श्रद्धा से माथे पर तिलक लगाकर आलथी-पालथी मारकर बैठ पूजा अर्चना की और जलाभिषेक किया। आपको बता दें कि राष्ट्रपति देवघर पहले भी आ चुके हैं।
कहलगांव एनटीपीसी आने के बाद उनका स्वागत बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद समेत केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी, बिहार सरकार के मंत्री, भागलपुर के सांसद शैलेश मंडल, गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे, कहलगांव के विधायक सदानंद सिंह , कमिश्नर अजय कुमार चौधरी, डीएम आदर्श तितमारे और एसएसपी मनोज कुमार ने किया।
राष्ट्रपति ने यहां 12 बजकर 20 मिनट तक रुके। इसके बाद वे वायुसेना की हेलीकॉप्टर से ही बौसी गुरुधाम के लिए रवाना हुए। गुरुधाम भागलपुर डिवीजन के बांका जिले में पड़ता है। यहां से उनका लगाव पुराना है। बौसी गुरुधाम की स्थापना 1943 में हुई थी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की माता राज लक्ष्मी मुखर्जी भी यहां की शिष्या थीं। उन्होंने गुरुदेव भूपेंद्र नाथ सान्याल से दीक्षा ली थी। यही वजह है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पिता कामदा किंकर मुखर्जी अक्सर यहां आते थे। गुरुधाम के लोग पंडित देव नारायण शर्मा राष्ट्रपति अपने गुरु परिवार का एक सदस्य मानते हैं।
बहरहाल, अंतीचक विक्रमशिला महाविहार में उन्हें देखने और सुनने के के बाद लोगों की भीड़ तादादा में जुटी हुई है। लोग उनके स्वागत में जुटे हुए हैं। राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा पुख्ता इंतजाम किया गया है। उनकी सुरक्षा में चप्पे चप्पे पर पुलिस बल तैनात है।
