जिन पांच नक्सलियों को मुंगेर की जिला अदालत ने फांसी की सजा सुनाई उनको हिफाजत के ख्याल से भागलपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया है। साथ ही सजा सुनाने वाले एडीजे प्रथम ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दरसअल शनिवार को इनके मोबाइल वाट्सएप पर एक धमकी भरा संदेश आया है। जिसमें लिखा है, ‘हमारे जन अदालत ने आपको फांसी की सजा सुनाई है।’ यह मैसेज जिस नंबर से आया है मुंगेर पुलिस उसकी तहकीकात में जुटी है। एसपी आशीष भारती के मुताबिक जिले में हाई अलर्ट जारी किया है। इधर नक्सली संगठन सीपीआई माओवादी ने भागलपुर, बांका, मुंगेर, लक्खीसराय, जमुई, जिलों को सजा के खिलाफ दो दिनों 28 व 29 मई को बंद का ऐलान किया है। साथ ही कहा है कि जन प्रतिवाद और जन प्रतिरोध आंदोलन जारी रहेगा। हालांकि इतवार होने की वजह से 28 मई की बंदी तो बेअसर ही रही।
मालूम रहे कि 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान मुंगेर- जमुई रास्ते से तीन फीट दूर नक्सलियों ने लैंडमाइंस विस्फोट किया था। और फिर पुलिस से हुई मुठभेड़ में 131 बटालियन के दो सीआरपीएफ जवान रविंद्र कुमार राय और सोने गौर शहीद हो गए थे। 10 जवान जख्मी भी हुए थे। इस वाकए की सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट गुंजन कुमार ने गंगटा आउटपोस्ट में एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमें 16 नामजद थे। नक्सलियों ने मुठभेड़ के दौरान माओवादी जिंदाबाद के नारे लगाए थे। और आपस में एक दूसरे का नाम पुकारते हुए गंगटा जंगल की ओर भाग गए थे। जिनके नामों का पता इसी से चला था। नामजद अधिक लाल पंडित और रत्तू कोड़ा को 29 अक्तूबर 2014 को पुलिस ने दबोचा। इनकी निशानदेही पर विपिन मंडल, बानो कोड़ा और मन्नू कोड़ा को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। हालांकि ये तीनो नामजद नहीं है। अभी भी 14 नामजद फरार है। पुलिस इन्हें नहीं ढूंढ सकी है।

