लालू के लाल तेजप्रताप यादव ने अपनी टोली के साथ दूसरी सोमवारी (29जुलाई) पर बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक किया। सावन की दूसरी सोमवारी को देवघर में श्रद्धालुओं का जन-सैलाब उमड़ पड़ा है। कांवड़िया रास्ते से लेकर देवघर तक 105 किलोमीटर का रास्ता बोलबम से गुंजायमान है। इतवार रात से ही 15 किलोमीटर लंबी कतार कांवड़ियों की लगी है।
तेजप्रताप ने कांवड़ तो नहीं उठाई और न ही पैदल बाबा धाम गए। वे इतवार शाम पूरे लावलश्कर के साथ सुलतानगंज अपनी साथियों की टोली के साथ पहुंचे। वे सड़क रास्ते गाड़ियों के काफिले के साथ आए थे। वे खुद शंकर भोले का रूप धारण किए थे। बाघ की छाल जैसे वस्त्र लपेटे थे। उनके बड़े-बड़े बाल भी गर्दन के नीचे तक लटके थे। मोटी-मोटी रुद्राक्ष की माला गले में पहने और सिर पर जटा बांधे उनकी टोली यों उनके कई साथी भी मौजूद थे। जय भोलेनाथ का जयकारा लगाते हुए उत्तरवाहिनी गंगा में डुबकी लगाई। डब्बे में जल भरा। उनके पहुंचने की खबर सुन लोग गंगा घाट पर जुट गए। सेल्फी भी लोगों ने उनके साथ ली। तेजप्रताप ने किसी को नाराज नहीं किया। पत्रकारों का भी जत्था वहां उनसे सवाल करने पहुंचा। मगर उन्होंने कोई जबाव देने के बजाए माफ करने को कहा। साथ ही कहा “मैं भगवान भोलेनाथ की पूजा करने आया हूं। मगर एक बात बोले देखते रहिए बिहार में जल्द ही बड़ा बदलाव होगा।” उनका इशारा शायद बिहार की राजनीति की तरफ था।
उन्होंने वीडियो कॉल के जरिए सुलतानगंज के बाबा अजगैबीनाथ और गंगा मैया के दर्शन अपनी माता राबड़ी देवी को कराया। साथ ही उनसे अपनी बैद्यनाथ धाम की तीर्थयात्रा के लिए आशीष लिया। वीडियो कॉल में अपनी माता के साथ तेजस्वी भी दिख रहे थे। वे सुरक्षाकर्मियों और अपने साथियों से घिरे थे। थोड़ी दूर पैदल चलने के बाद साथ चल रही अपनी गाड़ी में बैठ देवघर के लिए रवाना हो गए। सुबह -सुबह बाबा वैद्यनाथ शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित किया। आज सोमवार को यहां बीते सोमवार से ज्यादा भीड़ नजर आई। चारों ओर गेरुआ कपड़े पहने श्रद्धालुओं के जन सैलाब के अलावा कुछ नजर नहीं आता है।
बताते हैं कि तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालु देर रात तक बाबा का जलाभिषेक किया। पग-पग पर सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम है। पूरे शहर और मंदिर के प्रांगण में क्लोज सर्किट टीवी व कैमरे लगे हैं। शहर को भीड़भीड़ से निजात दिलाने के लिए यहां का प्रशासन शिवगंगा और पोठिया की तरफ बाहर से आनेवाले कांवड़ियों के वाहनों को रोकने का बंदोबस्त किया गया है। ताकि श्रद्धालुओं को मंदिर से निकास करने में दिक्कत का सामना न करना पड़े।
