बिहार में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के अभियान को पलीता लग रहा है। राज्य में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिन्हें देखकर तो यही नजर आता है कि लोग और सरकार इस अभियान के प्रति कितनी जागरुक है। विडंबना तो यह है कि देश में चैत्र नवरात्र चल रहे हैं। लोग इस दौरान कन्या पूजन और उन्हें जिमाने के अनुष्ठान करते हैं। वहीं बिहार में एक कन्या को जन्म देना उसकी मां के लिए मौत का सबब बन गया। लोगों ने भ्र्म पाला हुआ है कि वंश चलाने के लिए बेटा ही चाहिए। बेटियां बोझ हैं तो बेटा सहारा है जैसी जड़ मान्यताएं सदियों से बड़ी तादाद में बेटियों की बलि लेती रही हैं। इसकी कुछ मिसाल बिहार में पेश की गई हैं।
ताजा मामला भागलपुर का है जहां पर साहेबगंज बिंद टोला निवासी भोला महतो की बेटी सोनी की शादी तकरीबन 5 साल पहले मुंगेर गोखुलचक के सुदर्शन बिंद के साथ हुई थी। इस दौरान सोनी ने तीन बेटियों को जन्म दिया। तीसरी बेटी हाल में ही हुई थी। तीसरी बेटी को जनने के बाद रविवार के दिन ससुराल वालों ने सोनी की जमकर पिटाई की। सोमवार को जब घर का दरवाजा नहीं खुला तो ग्रामीणों को शक हुआ जिसके बाद उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने जबरन घर का दरवाजा खुलवाया और जब दरवाजा खुला तो सब दंग रह गए। ससुरालवालों ने सोनी की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने इस मामले में सोनी की सास उर्मिला देवी को गिरफ्तार कर लिया लेकिन बाकी के आरोपी फरार हो गए। सोनी के पिता भोला महतो ने पुलिस में हत्या की एफआईआर लिखवाई है। जिसमें सोनी के पति सुदर्शन बिंद, जेठ सुधीर बिंद और सास उर्मिला को नामजद किया गया है। मुंगेर के एसपी आशीष भारती दोनों को भी जल्द गिरफ्तार करने की बात कह रहे हैं।
बिहार में यह पहला मामला नहीं है जहां पर बेटे की चाहत में बेटी जनने वाली मां की हत्या की गई है। इससे पहले बांका जिले के कुम्हारबाक गांव में दूसरी बेटी को जन्म देने के बाद रेखा देवी की उसके पति और ससुरालवालों ने पिटाई कर दी थी। पिटाई के बाद जब वह बेहोश हो गई तो सभी वहां से भाग खड़े हुए। पड़ोसियों ने जब इसकी खबर पुलिस को दी तो मौके पर पहुंची पुलिस को घर से रेखा की लाश बरामद हुई। वहीं एक और मामले की बात करें तो तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कर्मचारी सुबोध झा ने पिछले साल 13 अक्तूबर की रात अपनी पत्नी रूपा देवी (35), बेटी रजनी (13) और दिव्यानि (11) पर घासलेट छिड़ककर आग लगा दी और बाहर से घर का ताला लगाकर एक पेड़ के नीचे जाकर खड़े होकर अपने परिवार के मरने का तमाशा देखता रहा। हालांकि पुलिस ने तीनों की हत्या के आरोप में सुबोध झा को जेल भेज दिया था।
आपको बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा देकर बेटियों के लिए अभियान चला रही है। जिसके पीछे काफी मोटी रकम भी खर्च की जा रही है। इस अभियान को चले करीब दो साल होने जा रहे हैं लेकिन यह अभियान सामाजिक आंदोलन का रूप नहीं ले सका है।