भले ही दुर्गापूजा के मौके पर कलकत्ता में बने भव्य पंडालों की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही हो, मगर इनमें सुगंध भागलपुर के कलाकारों ने ही भरा है। ये कलाकार यहां की कलाकेंद्र से जुड़े हैं। जिनने यहां के प्राचार्य रामलखन सिंह गुरुजी और वरीय साथी शशिशंकर मंजूषा थीम विद्या के गुर सीखे हैं। बता दें कि मंजूषा चित्रकला को भागलपुर की लोक चित्रकला के रुप में पूरे देश में जाना जाता है। वैसे इस चित्रकला में बिहुला विषहरी की लोक गाथा से जुड़े चित्र को ही पेंटिंग के जरिए उकेरा जाता था, पर इन कलाकारों ने परंपराओं से हटकर अपनी चित्रकला का प्रदर्शन चौक चौराहे, रेलवे स्टेशन, प्रशासनिक भवन की दीवारों पर भी किया। महिला सशक्तिकरण, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, स्वच्छता अभियान, शराब बंदी जैसे सामाजिक अभियान को बुलंद करने के लिए भी मंजूषा पेंटिंग बनाई है।

दिलचस्प बात ये है कि भागलपुर के कलाकार पहली बार कोलकाता के पंडालों में सजावट देकर अपना परचम लहरा रहे हैं। करीब एक महीने से जी तोड़ मेहनत कर भागलपुर कलाकेंद्र से जुड़े छात्र मानस, चित्रसेन, गुलशन, मृत्युंजय, संतोष, मिथिलेश, जय गुंजन, सानू के नेतृत्व में इन पंडालों को खूबसूरती प्रदान की है। इनके बनाए नेताजी नगर, मोर एवेन्यू, बेनरिक क्लब बगैरह पंडालों में मंजूषा पेंटिंग मुंह से बोल रही है। छात्र जीवन में ही इनकी कलाकारी के बेहतरीन प्रदर्शन की काफी तारीफ हो रही है।

मंजूषा चित्रकला को भागलपुर की लोक चित्रकला के रुप में पूरे देश में जाना जाता है। (Express Photo)

कोलकाता के लिलुआ में रहने वाले रामगोपाल शर्मा, राजकुमार, पुनीत कुमार सिंह, वीआईपी रोड़ के वाशिंदे संजय कुमार शर्मा, देवाशीष बनर्जी, बिलाय घोष सरीखों ने फोन पर इस संवाददाता को बातचीत में बताया कि वाकई मंजूषा पेंटिंग ने पंडालों में जान फूंक दी है। वे कलाकारों की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं।