साक्षरता के बढ़ते आंकड़ों के बीच एक चिंताजनक आंकड़ा सामने आया है। देश के अधिकांश राज्यों में 10वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में साल-दर-साल इजाफा हो रहा है। यू-डाइस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) की रिपोर्ट के मुताबिक 10वीं के बाद ड्रॉपआउट के मामले में बिहार और झारखंड की स्थिति सबसे खराब है। हालांकि उत्तराखंड और दिल्ली में पिछले एक सत्र में सुधार देखने को मिला है। सुधार के मामले में मध्य प्रदेश तीनों साल सबसे आगे रहा।

2016-17 में दिखा बड़ा अंतर

यू-डाइस की रिपोर्ट में 2014-15, से लेकर 2016-17 तक के सत्रों के आंकड़े सामने आए हैं। इसके मुताबिक बिहार में सत्र 2014-15 में 10वीं के बाद ड्रॉपआउट की दर 25.33 फीसदी थी, 2015-16 में यह बढ़कर 25.90 फीसदी हुई लेकिन 2016-17 में बड़े इजाफे के साथ यह आंकड़ा 39.73 फीसदी तक पहुंच गया। इसी तरह झारखंड में तीन सत्रों में क्रमशः यह आंकड़ा 23.15 फीसदी, 24 फीसदी और 36.64 फीसदी रहा। इसी तरह उत्तर प्रदेश तुलनात्मक आंकड़ों के लिहाज से अच्छी स्थिति में है लेकिन लगातार स्थिति बिगड़ रही है। 2014-15 में यहां ड्रॉपआउट दर 7.3 फीसदी थी लेकिन इसके बाद अगले सत्र में 10.22 फीसदी और फिर 12.71 फीसदी हो गई।

इन राज्यों में सुधार की तरफ बढ़े कदम

बिहार-झारखंड में लगातार आंकड़ा बढ़ रहा है। लेकिन इसके उलट मध्य प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड ने सुधार की तरफ कदम बढ़ाए हैं। हालांकि इन राज्यों के हालात अभी भी बेहद चिंताजनक हैं। मध्य प्रदेश में तो लगातार तीनों सत्रों में ड्रॉपआउट दर थोड़ी-थोड़ी कम हुई है।

राज्य2014-152015-162016-17
मध्य प्रदेश26.4724.7723.76
उत्तराखंड08.7010.4009.09
दिल्ली08.9011.8110.75

(नोट: सभी आंकड़े फीसदी में हैं)

…इसलिए जल्दी पढ़ाई छोड़ देते हैं बच्चे

जल्दी पढ़ाई छोड़ने के कारणों में परिवार का सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन, मां-बाप की निरक्षरता, उचित प्रशिक्षण के अभाव में बच्चों का पढ़ाई के प्रति लगाव कम होना, आठवीं तक फेल नहीं करने के पुराने नियम के चलते 10वीं में ज्यादा मुश्किलों का सामना करना शामिल हैं। कई सर्वे में रोजगार के अवसरों की कमी के चलते पढ़ाई से दूर होने की बात भी सामने आई है।