बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अध्यक्षता वाली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला किया है। जीतन राम मांझी के नेतृत्व में पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में पार्टी के प्रधान महासचिव संतोष मांझी भी मौजूद थे।
महागठबंधन से अलग होने के बाद पार्टी की आगे की राह क्या होगी, इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। बताया जा रहा है कि पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में महागठबंधन से अलग होने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया। पार्टी के प्रधान महासचिव संतोष मांझी ने कहा कि पार्टी ने अपने आगे का रास्ता खुला रखा है। संतोष मांझी ने कहा कि हमारा रास्ता राष्ट्रीय जनता दल से है। राजद जिस गठबंधन में होगा हम उस गठबंधन का हिस्सा नहीं होंगे।
महागठबंधन से जीतन राम मांझी के अलग होने की अटकलें पहले से ही लगाई जा रही थीं। हालांकि पार्टी की तरफ से राजद वाले गठबंधन से दूरी बनाने की बात कही गई है इससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि जीतन राम मांझी की पार्टी एनडीए में शामिल हो सकती है।
बिहार चुनाव से ठीक पहले जीतन राम मांझी के महागठबंधन छोड़ने से पहले विपक्षी धड़े को करीब तीन फीसदी मतों का नुकसान झेलना पड़ सकता है। मालूम हो कि जीतन राम मांझी जिस मुसहर समुदाय से आते हैं उसकी आबादी करीब 2.9 फीसदी है। जीतन राम मांझी की पार्टी का प्रभाव दक्षिण बिहार के इलाकों में अधिक है।
मगध क्षेत्र के इलाकों के साथ ही गया, नवादा और जहानाबाद में मुसहर समुदाय उम्मीदवारों की हार-जीत में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। ऐसे में यदि मांझी एनडीए के साथ जाते हैं तो सत्ताधारी गठबंधन के लिए यह किसी तोहफे से कम नहीं होगा। वहीं, राजद व अन्य विपक्षी दलों को इस अंतर को पाटने के लिए अतिरिक्त मशक्कत करनी पड़ेगी।
वहीं, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के समधि चंद्रिका राय गुरुवार को जदयू में शामिल हो गए। मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर राय ने कहा कि राजद अब गरीबों की पार्टी नहीं रह गई है। धनी और कारोबारियों की पार्टी हो गई है। टिकट का बंटवारा भी इसी आधार पर होता है। राज्यसभा चुनाव के वक्त भी कुछ अमीर लोग चले आते हैं और पार्टी उन्हें टिकट दे देती है। जिन गरीब लोगों ने राजद को खड़ा किया था, वे अब निराश हैं। पार्टी में पुराने कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं मिल रही है।