बिहार में बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और गंगा नदी से गाद हटाने में केंद्र से हस्तक्षेप करने को कहा। उन्होंने फरक्का बांध को हटाने की भी मांग की और कहा कि नदी में रेत बढ़ने का कारण बांध ही है। नीतीश ने कहा कि पश्चिम बंगाल में फरक्का बांध के कारण इसके बुरे प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि बिहार में सामान्य से 14 फीसद कम बारिश होने के बावजूद बांध के कारण ही विभिन्न नदियों के जलस्तर में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने मोदी सरकार की नमामि गंगे परियोजना को बिहार में बेहतर गाद प्रबंधन से जोड़ते हुए कहा कि अगर स्थिति पर ध्यान नहीं दिया गया तो कार्यक्रम की सफलता पर भी प्रश्न चिह्न लगेगा क्योंकि राज्य में गंगा की स्थिति पर उन्हें रोने का मन करता है।
नीतीश ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद संवाददाताओं को बताया कि हर साल आने वाली बाढ़ से निजात पाने का एकमात्र रास्ता गंगा नदी की गाद की सफाई करना और निर्बाध रूप से इसका बहाव सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान बाढ़ के कारण 95 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। नीतीश ने बताया कि मोदी ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा कि उनकी मांगों पर तुरंत और सकारात्मक कार्रवाई की जाएगी जिसमें राष्ट्रीय गाद निकासी नीति बनाना शामिल है।
नीतीश ने कहा- बिहार में आज हम जो बहुत गंभीर स्थिति देख रहे हैं वह कभी नहीं हुई। इससे निजात पाने का एकमात्र रास्ता गाद की सफाई करना है। राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति की जरूरत है। उन्होंने मोदी से अपील की कि वे राज्य में बाढ़ से बिगड़ रहे हालात का जायजा लेने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम भेजें। उन्होंने कहा कि स्थितियों का आकलन करने के लिए यह सही वक्त है। उन्होंने कहा- प्रधानमंत्री ने मुझे आश्वासन दिया है कि विशेषज्ञ भेजे जाएंगे और इस विषय पर जल्द ही फैसला किया जाएगा। त्वरित और सकारात्मक कार्रवाई करनी होगी।
मुख्यमंत्री ने आशंका जताई कि अगर प्रभावी तरीके से नहीं निपटा गया तो स्थिति और बदतर हो जाएगी और आगामी वर्षों में राज्य को ज्यादा गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। मानसून के दौरान बिहार में सामान्य से 14 फीसद कम बारिश हुई है लेकिन नेपाल के अलावा मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में भारी बारिश के बाद नदियों में पानी छोड़े जाने के कारण राज्य के बड़े हिस्से में बाढ़ आई हुई है। उन्होंने कहा कि गाद के कारण गंगा में उतना पानी नहीं आ सकता जितना पहले आता था जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
उन्होंने ज्ञापन सौंपते हुए कहा- वर्तमान में गंगा में बाढ़ का मुख्य कारण नदी में काफी ज्यादा गाद जमा होना है जो फरक्का बांध के निर्माण के कारण हुआ है। हमें बांध के निर्माण की जरूरत का फिर से आकलन करना होगा। व्यावहारिकता में देखें तो इसने जो स्थिति पैदा की है उसमें लाभ से ज्यादा नुकसान है। इसलिए यह उपयुक्त होगा कि केंद्र बांध हटाने के बारे में गंभीरता से विचार करे।