अंग्रेजों के जमाने में बना बादली रेलवे स्टेशन प्रशासन की लापरवाही की मार झेल रहा है। इतने बरसों में यहां किसी भी विकास कार्य जरूरत नहीं समझी गई। नतीजतन, यात्री सुविधाओं की कमी के साथ ही यहां यात्री सुरक्षा भी मसला बना हुआ है। इसको लेकर कई साल से मांगें होती रही हैं, लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हो पाई है। बादली स्टेशन पर केवल एक टिकट घर है, जबकि इस इलाके में तीन विधानसभा क्षेत्रों की आबादी रहती है। इसके अलावा आज तक यहां एक भी एक्सप्रेस ट्रेन को ठहराव नहीं दिया गया है। दिल्ली देहात के इलाके में आने वाला बादली स्टेशन उत्तर भारत के शुरुआती रेलवे स्टेशनों में से एक है और यह समयपुर बादली मेट्रो स्टेशन के साथ लगा हुआ है। फिर भी यहां कोई सुविधा नहीं है बल्कि गंदगी व असुरक्षा का माहौल रहता है। आए दिन यहां रेलवे लाइन पार करते समय कोई न कोई हादसा होता रहता है।

स्टेशन पर सुविधाओं का आलम यह है कि किसी भी एक्सप्रेस ट्रेन को यहां ठहराव नहीं दिया जाता है। वहीं केवल एक टिकट घर होने से सुबह व शाम के वक्त टिकट लेने के लिए यात्रियों की भारी भीड़ लग जाती है। बादली रेलवे स्टेशन पर पुलिस पोस्ट का अभाव है और स्टेशन परिसर में रोशनी की व्यवस्था भी न के बराबर है, जिसके कारण अंधेरे का फायदा उठाकर यहां लूटपाट और झपटमारी भी होती है।

इसके अलावा बादली रेलवे स्टेशन पर खाली पड़ी हजारों वर्ग मीटर की जमीन पर कोई भी सामुदायिक भवन या आरक्षण केंद्र नहीं बनाया जा सका है, जबकि यहां से कई सवारी गाड़ियां, ईएमयू व डीएमयू गुजरती हैं। इस इलाके में ज्यादातर बस्तियां गरीबों, कामगारों व छोटे व्यापारियों की हैं, जो ट्रेन से सफर करते हैं, लेकिन उनके लिए सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं है। स्टेशन पर फुटओवर ब्रिज नहीं होने से आए दिन रेलवे लाइन पार करते वक्त लोग ट्रेन की चपेट में आ जाते हैं। इलाके में काम कर रहे जनहित प्रयास समिति के महासचिव हितेश शर्मा का कहना है कि हमने कई बार मामले को लेकर सरकारी महकमों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अभी तक इलाके के लोगों को एक अदद पुल या एक सुरक्षा पोस्ट भी नहीं मिल पाई है। रेलवे अधिकारी बस यही कहकर बात टाल जाते हैं कि फुटओवर ब्रिज का काम आगे बढ़ रहा है।