समाजवादी पार्टी में जारी उठापटक और सुलह की तमाम कोशिशों के बीच अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर मुलायम सिंह यादव गुट ने अखिलेश यादव गुट से अलग होकर उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव लड़ा तो वो वरिष्ठ मंत्री आजम खान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना सकते हैं। आजम खान को मुलायम सिंह और अखिलेश यादव दोनों का भरोसेमंद माना जाता रहा है और मौजूदा सियासी दंगल में उन्हें ही सुलह का सूत्रधार बताया जा रहा है। हालांकि, अभी तक पिता-पुत्र में सुलह नहीं हो सकी है।
कुश्ती और सियासी अखाड़े के पहलवान मुलायम सिंह आजम खान को तुरूप के पत्ते की तरह सियासी मैदान में अपने ही बेटे टीपू (अखिलेश) के खिलाफ उतारकर बड़ा दांव चल सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक मुलायम सिंह जल्द ही सीएम उम्मीदवार के बारे में आजम खान से बातचीत कर उनके सामने प्रस्ताव रख सकते हैं। बताया जा रहा है कि शिवापल यादव और आजम के धुर विरोधी रहे अमर सिंह ने भी आजम खान के नाम पर सहमति दे दी है।

आजम खान समाजवादी पार्टी में बड़ी मुस्लिम शख्सियत हैं। यही वजह है कि मुलायम सिंह उन्हें अपना मुख्यमंत्री चेहरा बनाकर 19 फीसदी मुसलमानों का वोट अपने पाले में करने की कोशिश कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो राज्य में मुस्लिम वोटों का बिखराव होना तय है।
गौरतलब है कि कल (रविवार को) दिनभर की नरमी की खबरों के बीच मुलायम सिंह यादव ने शाम होते-होते नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर स्पष्ट कर दिया कि वो अभी भी नरम नहीं पड़े हैं। उन्होंने साफ कहा कि वही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं और शिवपाल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। मुलायम ने अखिलेश को संदेश देते हुए कहा कि वो खुद को सिर्फ मुख्यमंत्री समझें। साथ ही मुलायम ने रामगोपाल यादव द्वारा बुलाए गए विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन को अवैध बताया। उम्मीद की जा रही है कि मुलायम सिंह यादव आज (सोमवार को) चुनाव आयोग जाकर अपने समर्थिक विधायकों, विधान पार्षदों और सांसदों समेत पार्टी प्रतिनिधियों के हस्ताक्षरयुक्त हलफनामा वाले दस्तावेज सौपेंगे। आयोग ने दस्तावेज सौंपने का आखिरी दिन आज ही है।

