जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा मंगलवार को आयोजित महिलाओं की सबसे बड़ी रैली में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के लिए उस वक्त असहज स्थिति पैदा हो गई, जब लोग उनके सामने ही आजादी के नारे लगाने लगे। इसके बाद मुख्यमंत्री चली गईं और प्रोग्राम की अवधि घटा दी गई। विभिन्न कला और शिल्प पर कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (SKICC) ट्रेनिंग करा रहा था। प्रोग्राम में भाग लेने वाली एक महिला ने कहा, हमें बताया गया था कि हमें ट्रेनिंग दी जाएगी और कुछ अफसर खास तौर से इसके लिए आए हैं। कहा गया था कि इस प्रोग्राम में हमें बताया जाएगा कि हमें भविष्य में क्या करना है। लेकिन जब वहां हमने मुख्यमंत्री को देखा तो हमें गुस्सा आ गया।
अन्य महिला ने कहा, वह हमारा शोषण कर हमारा राजनीतिक कारणों के लिए इस्तेमाल करना चाहते थे। यह हम कैसे बर्दाश्त कर लेते। हमारे युवाओं को हर दिन मारा-पीटा जा रहा है। प्रोग्राम शुरू होने के 20 मिनट बाद ही मुफ्ती को यह कार्यक्रम छोड़कर जाना पड़ा। उन्होंने बताया, काफी संख्या में औरतें मौजूद थीं और एक महिला बेहोश हो गई, जिससे बाकियों में डर फैल गया। यह एक अहम कार्यक्रम था, जिसे ठीक तरीके से व्यवस्थित नहीं किया गया था। सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि उन्हें घटनास्थल पर एेसा होने की आशंका थी और हमने मुख्यमंत्री को इस कार्यक्रम में शामिल न होने की सलाह भी दी थी।
सबसे पहले दक्षिणी कश्मीर से आए एक दल ने मुफ्ती की मौजूदगी पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि अफसरों ने ट्रेनिंग के नाम पर उनके साथ धोखा किया है। इसके बाद सैकड़ों महिलाएं आजादी के नारे लगाने लगीं। पुलिस ने इन महिलाओं को गाड़ियों में भरकर वापस उनके गांव भेज दिया। सूत्रों के मुताबिक पुलिस अधिकारी इसके बाद पुलवामा से आई महिलाओं को खोजने लगे। फिर अन्य महिलाओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने कुर्सियां फेंकी और आजादी के नारे लगाए। एक अधिकारी ने कहा, सीएम ने पहले स्टॉल्स का इन्पेक्शन किया और फिर मंच की ओर चली गईं। इसके बाद कुछ महिलाएं अपनी कामयाबी की बात बताने लगीं कि तभी कुर्सियां फेंकी और नारे लगाए जाने लगे। कोई नहीं बता पा रहा था कि हुआ क्या। कुछ लोगों को लगा कि आतंकी हमला हुआ है। मुख्यमंत्री मंच से सब देखती रहीं, लेकिन जब महिलाओं ने सिक्योरिटी बैरिकेड्स हटाने की कोशिश की, तो सुरक्षाबलों ने उन्हें हटाया।
