अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए सिफारिश करने वाले गवर्नर ज्योति प्रसाद राजखोवा ने ‘गोहत्या’ को राज्य में पूरी तरह धराशायी होती कानून व्यवस्था का प्रतीक बताया। संवैधानिक मशीनरी के नाकाम होने का दावा करते हुए गवर्नर ने इमरजेंसी लगाने के वाजिब कारण गिनाने के लिए राजभवन के बाहर मिथुन ‘गाय’ के काटे जाने की तस्वीरेें बतौर सबूत रिपोर्ट में अटैच कीं। यह सारा खुलासा बुधवार को गवर्नर के वकील सत्या पाल जैन ने सुप्रीम कोर्ट में किया।
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कोर्ट ने केंद्र सरकार और गवर्नर को वे सारे सबूत रखने को कहा था, जो ये साबित कर सकें कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की वाजिब वजहें थीं। कोर्ट ने इस मामले को ‘बेहद गंभीर’ भी बताया। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब तलब भी किया है। बता दें कि मिथुन गाय की गिनती पहाड़ों के मवेशी के तौर पर होती है। यह गोजातीय पशु नॉर्थ ईस्ट के अलाके में पाया जाता है। इसे अरुणाचल प्रदेश में राजकीय पशु का दर्जा हासिल है।
कोर्ट की संवैधानिक बेंच की अगुआई करते हुए जस्टिस जेएस खेहर ने गवर्नर की रिपोर्ट मांगी थी। वहीं, जैन ने बताया कि गवर्नर ने प्रेसिडेंट और केंद्रीय गृह मंत्रालय को कई रिपोर्ट भेजी थीं। जैन के मुताबिक, गवर्नर इस रिपोर्ट को कांग्रेस और पार्टी के नेताओं से साझा नहीं करना चाहते थे क्योंकि वे इस मामले में याचिकाकर्ता थे। जैन ने कहा, ”हम कोर्ट को सारी चीजें दिखाएंगे। हम आपको (जजों) गोहत्या की फोटोज भी दिखाएंगे।…ये तस्वीरें एक रिपोर्ट में हैं।” बता दें कि जैन अडशिनल सॉलिसिटर जनरल होने से पहले बीजेपी के सांसद भी रह चुके हैं।