अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने कश्मीर के दो स्टूडेंट्स को निलंबित कर दिया था। अब इस निलंबन को यूनिवर्सिटी ने वापस ले लिया है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पीआरओ उमर पेरजादा ने बताया कि 2 कश्मीरी छात्रों के निलंबन को निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि 3 सदस्यीय समिति गठित की गई थी। जांत समिति ने पूरे मामले में देखा। सबूत से निष्कर्ष निकाला गया कि निलंबन उनके काम और आचरण के लिए बड़ी सजा होगी। इसलिए हमने इसे रद्द कर दिया। इससे पहले जम्मू-कश्मीर में हुए मुठभेड़ में आतंकवादी मनान वानी के लिए प्रार्थना बैठक आयोजित करने की कोशिश के लिए तीन कश्मीरी छात्रों पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। आपको बता दें कि मनान वानी के मारे जाने की खबर के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के केनेडी हॉल में लगभग 15 छात्र इक्ट्ठा हुए। उन्होंने वानी के लिए यहां नमाज पढ़नी शुरू की। यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर मोहसिन खान ने बताया कि तीनों छात्रों ने अनुशासनहीनता की। इन छात्रों ने यूनिवर्सिटी के नियमों के खिलाफ गैरकानूनी तरीके से सभा बुलाई। हालांकि यूनिवर्सिटी के पीआरओ ने कहा था कि सभा आंतकी मनान वानी के लिए नहीं हुई थी, छात्रों ने ऐसे ही सभा रखी थी जो गैरकानूनी थी।

गौरतलब है कि मनान वानी एएमयू में रिसर्च स्कॉलर था और बीच में ही पढ़ाई छोड़कर आतंकवादी संगठन हिज्बुल में शामिल हो गया था। सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर में कुपवाड़ा के हंदवाड़ा में बुधवार को मनान सहित तीन आतंकियों का एनकाउंटर कर दिया था। यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर के अनुसार मनान वानी के आंतकवादी संगठन में शामिल होने के बाद यूनिवर्सिटी ने उसे कॉलेज से निकाल दिया था। मनान का यूनिवर्सिटी से कोई संबंध नहीं था।

तीन छात्रों को सस्पेंड करने के अलावा चार छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इन चार छात्रों पर सस्पेंड किए गए छात्रों का सपोर्ट करने का आरोप था। प्रॉक्टर ने साफ किया कि राष्ट्रविरोधी गतिविधियां यूनिवर्सिटी परिसर में बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। भारत विरोधी नारेबाजी के आरोप में अपने तीन साथियों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होने से नाराज कश्मीरी छात्रों ने सोमवार को स्थानीय प्रशासन पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए विरोध मार्च निकाला था। प्रदर्शनकारियों ने सर सैयद गेट से कुलपति के कार्यालय तक पदयात्रा की। उसके बाद पांच छात्रों के समूह ने एएमयू के रजिस्ट्रार से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कश्मीरी छात्रों ने आरोप लगाया कि वे लगातार डर के माहौल में जी रहे हैं।