पंजाब के अमृतसर में दशहरे के दिन रावण दहन देख रहे 60 से अधिक लोगों की रेलगाड़ी की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गयी, जबकि सैकड़ों लोग घायल है जिनमें कई लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। खुशियों के त्यौहार को गम में बदले वाले रेल हादसे के बाद इसकी की वीभत्सता को देख कर लोगों की पैरों तले जमीन खिसक गयी। चारों तरफ कोहराम मचा हुआ था अपनों को बेसुध, बदहवास होकर खोजते परिजनों की दयनीय हालत देख कर किसी का भी दिल बैठ जाये। घटनास्थल पर शवों में किसी का हाथ वा सिर गायब तो किसी का पैर या धड़ गायब मिले।

तेज रफ़्तार ट्रेन से कटे शवों का इतना बुरा हाल था कि उनके परिजन भी उन्हें नहीं पहचान पा रहे थे। लोगों के मुताबिक अमृतसर ने शुक्रवार को इस हादसे के बाद जो मौत का मंजर देखा, वैसा खौफनाक मंजर तो बंटवारे के वक़्त भी नहीं देखा था। जोड़ा फाटक पर दर्दनाक हादसा देख लोगों का बुरा हाल था। जिनके घरों के चिराग नहीं मिल रहे थे उनका रो-रो कर बुरा हाल हो रहा था। जिन्हें अनहोनी का डर सता रहा था वह पागलों की तरह रेल पटरियों पर दौड़ रहे थे। घटनास्थल पर पड़े शवों से कपड़ों के टुकड़े उठाकर अपनों की पहचान करने का प्रयास कर रहे थे।

मौके पर मौजूद लोगो ने बताया कि रावण दहन देखने के लिए प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी भारी संख्या में लोग मौजूद थे, अकेले रेलवे ट्रैक पर ही 300 से ज्यादा लोग घटना के वक़्त मौजूद थे। रावण दहन होते ही, वहाँ खड़े लोग रावण के पुतले से छूटते पटाखों के कारण पीछे हटने लगे और उसी खूनी रेलवे ट्रैक पर जा खड़े हुए, चूँकि पहले ट्रैक से हावड़ा मेल गुजर रही थी तो लोग उससे बचने के लिए पिछले ट्रैक पर गए लेकिन तभी इस ट्रैक पर डीएमयू गाड़ी आ गयी ।

लेकिन जलते रावण के पुतले से आती पटाखों की तेज आवाजों से लोगों को ट्रेन की आहट नहीं सुनाई दी, उस समय खुद यमराज बन कर आयी डीएमयू ट्रेन के सामने जो भी आया उसने उसे निगल लिया। जोड़ा फाटक पास जहाँ रावण दहन का कार्यक्रम था, इस ट्रेन हादसे ने लोगों की खुशियां पल भर में मातम में बदल दी। ट्रेन की चपेट में आने से दर्ज़नो लोगो की मौत मौके पर ही हो गयी थी, अभी तक 60 से ज्यादा लोगो की मौत हो चुकी है और दर्ज़नो घायल जिंदगी और मौत के बीच अस्पताल में जंग लड़ रहे है।

घटना के बाद हर तरफ चींख पुकार सुनाई दे रही थी और अपनों को खोजते रोते-बिलखते लोग नजर आ रहे थे। लोग लाशों के बीच अपनों की जिन्दा होने की तलाश कर रहे थे। इस दर्दनाक हादसे को देख लोग सन्न रह गए, राहत और बचाव कार्य के लिए लोग इधर उधर दौड़ते नजर आये। मौके पर रेस्क्यू के लिए पुलिस पहुंची तो स्थानीय लोग भी मदद के लिए आगे आये। लोगों ने लाशों को ढकने और उठाने के लिए अपने घरों से कम्बल और चादरें लाकर दी। पुलिस के मुताबिक कुछ शवों की की ये स्थिति थी कि, समझ नहीं आ रहा था की सिर किसका है और हाथ-पैर किसके है।

इस हादसे में अपनों को खो चुके लोग रोते हुए इधर से उधर उन्हें खोज रहे थे, एक महिला ने बताया कि वो अपने बच्चे के साथ आयी थी लेकिन भगदड़ में उसका बच्चा अभी तक नहीं मिल रहा, इस तरह सैकड़ो लोग अपने परिजनों  दोस्तों आदि को खोज रहे है जो इस रेल हादसे में मची भगदड़ के बाद से नहीं मिले है। इस हादसे के बाद लोगों में काफी रोष है स्थानीय लोगों का कहना है रेलवे प्रशासन से इसके पहले कई बार कहा गया था कि, जोड़ा फाटक के पास दशहरा देखने के लिए लोगो की काफी भीड़ होती है इसलिए कुछ दिनों के लिए यहाँ ट्रेन के स्पीड कम कर दी जाये ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके।

लेकिन रेलवे ने उनकी बात को अनसुना कर दिया जिसकी परिणीति में ये दर्दनाक हादसा हो गया। एक और प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि ट्रेन जब यहाँ आयी तो उसने हॉर्न भी नहीं बजाया था जिस कारण लोग ट्रैक से नहीं हट पाए थे, जिससे ट्रैक पर खड़े लोग ट्रेन हादसे का शिकार हो गए और उनकी दर्दनाक मौत हो गयी। फ़िलहाल रेलवे ने इस हादसे से अपना पल्ला झाड़ लिया है और इसकी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन पर डालते हुए कहा कि ये मामला पूरी तरह रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण का था। रेलवे प्रशासन से इस आयोजन की कोई अनुमति नहीं ली गयी थी।