यूपी के अमेठी जिले में स्वास्थ्य विभाग में वर्षों से एक ही जगह डेरा डाले कई कर्मचारियों को तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए सूची जारी की थी, लेकिन नए सीएमओ ने उस सूची को निरस्त कर दिया। इसी आदेश की कापी लेकर अन्य कर्मचारी भी तबादला निरस्त कराने में जुट गए है। इस पर कई लोगों ने नाराजगी जताते हुए भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की आशंका जताई है।
तबादला करने के लिए बाकायदा शासन से निर्देश जारी किए गए थे। मुख्य सचिव कार्मिक अनुभाग-4 वार्षिक तबादला नीति में 13 मई 2022 को समूह ग के कार्मिकों के पटल एवं क्षेत्र परिवर्तन के निर्देश दिए गए थे।
तीन वर्ष से अधिक एक ही जगह काम कर चुके कर्मचारियों के पटल एवं क्षेत्र परिवर्तन के आदेश पर अमेठी की मुख्यचिकित्सा अधीक्षक डॉ. सीमा मेहरा ने 27 जून 2022 को समूह ग के 81 कार्मिकों के पटल एवं क्षेत्र परिवर्तन की सूची जारी की थी। इसमें 5 चीफ फार्मासिस्ट, 14 स्टाफ नर्स, 3 एक्सरे टेक्निशियन, 13 लैब असिस्टेंट, 4 कुष्ठ रोग, 2 डार्क रूम असिस्टेंट, 4 डेंटल सहायक, 5 नेत्र रोग, और 31 फार्मासिस्टों के तबादले किए गए थे।
इसके तीन हफ्ते बाद कार्यभार संभालते ही नए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने 13 जुलाई 2022 को समूह ग के पटल एवं क्षेत्र परिवर्तन की सूची तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी। नए सीएमओ ने आदेश में लिखा है कि 27 जून को किए गए समस्त चीफ फार्मासिस्टों के पटल एवं क्षेत्र परिवर्तन तत्कालीन प्रभाव से निरस्त किए जाते हैं। अन्य तबादलों को निरस्त करने का कोई कारण नहीं लिखा गया है।
इसी आदेश की कापी लेकर अन्य कर्मचारी भी तबादला निरस्त कराने में जुट गए है। योगी सरकार 1 मार्च 1996 की तबादला नीति पर वार्षिक स्थानांतरण पटल एवं क्षेत्र परिवर्तन व्यवस्था लागू की है। सीएमओ आफिस के एक बाबू ने बताया कि 15,16 साल से एक ही पटल पर तैनात चीफ फार्मासिस्टों को तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सीमा मेहरा ने हटा दिया था, लेकिन नए सीएमओ ने आदेश निरस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि कुछ कर्मचारी मजबूत पकड़ के कारण दो दशकों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं।
इनका तबादला नियमानुसार मंडल के बाहर होना चाहिए था, लेकिन निदेशालय की सांठगांठ से सब एक ही जिले में पूरी नौकरी कर रहे हैं।इसी लिए अस्पतालों में मरीजों को बेहतर तरीके से इलाज नहीं मिल पा रहा है। तबादला आदेश में लिखा था कि समूह ग के कार्मिकों को कार्यमुक्त न करने वाले दंडित किए जाएंगे, लेकिन अधिकतर कार्मिक तबादला आदेश निरस्त करवाने के लिए अफसरों और नेताओं के यहां चक्कर लगा रहे हैं।