अजमेर जिला अदालत में अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर एक याचिका दाखिल की हई है। इसमें कहा गया है कि यह दरगाह एक शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई है। याचिका में मांग की गई है कि इस दरगाह को श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाना चाहिए। याचिका में दरगाह के आसपास से अवैध कब्जा हटाने की भी मांग की गई है। अदालत में यह याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दाखिल की गई है।
इस याचिका को हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दायर की थी। उन्होंने दावा किया है कि दरगाह को मंदिर के खंडहर पर बनाया गया है। याचिका में मांग की गई है दरगाह के संचालन से जुड़े अधिनियम को रद्द किया जाए। यहां हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिलना चाहिए। इसके साथ ही दरगाह के ASI सर्वेक्षण कराने की भी मांग की गई। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में पेश अधिवक्ता शशिरंजन ने कहा कि यहां पहले शिव मंदिर था जिसे मुगल आक्रांताओं ने तोड़ दिया। बताया कि उन्होंने दो साल तक शोध किया है। उनके मुताबिक, वहां पहले एक शिव मंदिर था जिसे मुस्लिम आक्रमणकारियों ने तोड़ दिया और फिर वहां दरगाह बना दी गई।
क्या किया गया दावा
याचिका में कहा गया कि दरगाह के मुख्य प्रवेश द्वार के गुंबद का डिजाइन हिंदू संरचना से मेल खाता है। छतरियों की सामग्री और शैली भी स्पष्ट रूप से से इसके हिंदू मूल का होने का संकेत देती है। इसकी नक्काशी सफेदी के कारण छिप गई है। इसके सर्वे कराया जाना चाहिए। याचिका में आगे कहा गया कि ऐसे कोई रिकॉर्ड भी मौजूद नहीं हैं जिसमें कहा गया हो कि दरगाह का निर्माण खाली जमीन पर कराया गया हो। मुकदमे में दावा किया गया है कि तहखाने में महादेव की एक छवि है, जहां ख्वाजा को दफनाया गया था। अजमेर शरीफ दरगाह को भारत में सबसे पवित्र मुस्लिम तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है।