विजयदशमी के दिन गुजरात में मंगलवार को 200 से अधिक दलितों ने बौद्ध धर्म अपना लिया। ये दलित राज्य के कई अलग अलग हिस्सों से हैं। गुजरात के अमदावाद जिले के डाणीलिम्दा क्षेत्र में 70 दलितों ने बौद्ध धर्म को अपनाया। मंगलवार को यहां गुजरात बुद्धिस्ट अकेडमी ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम के दौरान ही 70 दलितों ने बौद्ध धर्म को अपना लिया। ‘दीक्षा’ समारोह शुरु होने से पहले दलितों के खिलाफ शोषण के मुद्दे पर बातचीत की गई। ज्यादातर दलितों ने उनके खिलाफ हो रहे भेदभाव को धर्म परिवर्तन का कारण बताया। अखिल भारतीय बुद्ध महासंघ के राष्ट्रीय सचिव भदंत प्रग्नशिप महातेरो ने नए बौद्ध धर्म अनुयायियों क दीक्षा दी। दीक्षा देने से पहले उन्होंने कई बार पूछा कि बौद्ध धर्म अपनाने के लिए उन पर किसी की दबाव तो नहीं है। इस कार्यक्रम के आयोजक रमेश बानकर 125 दलितों को बौद्ध धर्म की दीक्षा देने की उम्मीद कर रहे थे।
इसके अलावा ये कार्यक्रम 2 और जगह हुआ। गुजरात के मेहसाना जिले के कालोल क्षेत्र में 61 दलितों ने बौद्ध धर्म को अपनाया। इसके अलावा 11 लोगों ने सुरेंद्रनगर में बौद्ध धर्म को अपना लिया। राज्य भर में 200 से अधिक दलितों ने धर्म परिवर्तन किया। एमबीए की पढ़ाई कर रहे मौलिक चौहान बताते हैं कि वो अपने परिवार में पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया है। मौलिक बताते हैं कि वह कम उम्र से ही बौद्ध धर्म की ओर रुझान रखते थे। मौलिक ने कहा कि थानगढ़ और उना जैसी घटनाओं के चलते उन्होंने जल्द बौद्ध धर्म अपना लिया। एक प्राइवेट फर्म में मार्केटिंग मैनेजर कमलेश माहेरिया बताते हैं मैं अब और भेदभाव नहीं झेलना चाहता इसलिए मैं बौद्ध धर्म अपना रहा हूं। आपको बता दें कि पिछले कुछ समय से दलितों के खिलाफ हिंसा की कई घटनाएं सामने आईं हैं।
Read Also: दलित की पत्नी से मिलकर बोले हरीश रावत- मैं शर्मिंदा हूं और आपसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं