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ओलंपिक के आखिरी दिन (रविवार, 21 अगस्त) गोल्ड मेडल के लिए भारत की आखिरी उम्मीद योगेश्वर दत्त से रहेगी। भारत अब तक रियो में एक रजत और एक कांस्य पदक जीत चुका है। ऐसे में अगर योगेश्वरक भारत को एक स्वर्ण दिला दें तो भारत को एक-एक तीनों पदक मिल जाएंगे। योगेश्वर 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीत चुके हैं ऐसे में स्वयं वो भी इस बार अपने पदक का रंग बदलना चाहेंगे।
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योगेश्वर का ये चौथा ओलंपिक है। ऐसे में बहुत संभव है कि ये उनका आखिरी ओलंपिक हो। योगेश्वर अपने आखिरी ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहेंगे।
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योगेश्वर 65 किलोग्राम फ्रिस्टाइल कुश्ती स्पर्था में उतरेंगे। पिछले एक-दो साल में उन्होंने इस वजन की स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन किया है। 2014 के एशियन गेम्स में स्वर्ण, 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी उन्होने सोना जीता था। अब अगर इस ओलंपिक में भी वो गोल्ड जीत जाते हैं तो वो तीनों गेम्स में गोल्ड जीतने का रिकॉर्ड बना सकते हैं।
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2015 में तीन सर्जरी के बाद उन्होंने इस साल रियो ओलंपिक के लिए कोटा हासिल किया और अब उनसे काफी उम्मीद हैं कि वह अपना लगातार दूसरा ओलंपिक पदक जीतेंगे।नरसिंह यादव के रोके जाने के बाद योगेश्वर ही भारत आखिरी उम्मीद हैं।
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योगेश्वर के लिए ओलंपिक में पदक की राह आसान नहीं होने वाली क्योंकि इसके लिए उन्हें विश्व चैम्पियन इटली के फ्रेंक चामिजो और रूस के सोस्लान रामोनोव से भिड़ना पड़ सकता है।
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योगेश्वर दत्त भारत की ओर से कुश्ती में मेडल जीतने वाले तीसरे पहलवान हैं। सबसे पहले 1952 के ओलिंपिक खेलों में भारत के खशब जाधव ने कांस्य पदक जीता था। इसके बाद 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में पहलवान सुशील कुमार ब्रॉन्ज जीतने में कामयाब रहे थे।
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योगेश्वर की उलब्धियों को देखते हुए उन्हें 2012 में राजीव गांधी खेल रत्न भी मिल चुका है।
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योगेश्वर दत्त। (Source: Agencies)
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अगर भारत अपना तीसरा पदक जीतने में सफल हो जाता हैं तो बीजिंग ओलंपिक के समय जीते गए पदकों की संख्या की बराबरी कर लेगा।
