गुरुवार को जहां एक ओर इंग्लैंड और भारत का मैच चल रहा था तो दूसरी ओर देश की महिला एथलीट महिला हिमा दास भी इतिहास रच रही थीं। हिमा दास आईएएएफ विश्व अंडर 20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की महिला 400 मीटर रेस फाइनल में खिताब के साथ विश्व स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बन गईं। खिताब की प्रबल दावेदार 18 साल की हिमा दास ने 51 .46 सेकेंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता जिसके बाद भारतीय खेमे ने जमकर जश्न मनाया। हालांकि, हिमा 51 .13 सेकेंड के अपने निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से पीछे रहीं। (All Photos- Instagram/Twitter) -
हिमा दास से पहले भारत की किसी भी महिला ने विश्व चैंपियनशिप के किसी भी स्तर पर स्वर्ण पदक नहीं जीता था। वह विश्व स्तर पर ट्रैक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। हिमा ने जैसे ही गोल्ड मेडल लिया तो वह काफी भावुक हो गईं।
हिमा दास ने रेस जीतने के बाद कहा, 'विश्व जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर मैं काफी खुश हूं। मैं स्वदेश में सभी भारतीयों को धन्यवाद देना चाहती हूं और उन्हें भी जो यहां मेरी हौसला अफजाई कर रहे थे।' इस जीत को हासिल करते ही वह भालाफेंक के स्टार खिलाड़ी नीरज चोपड़ा की सूची में शामिल हो गई जिन्होंने 2016 में इस प्रतियोगिता में विश्व रिकार्ड प्रयास के साथ स्वर्ण पदक जीता था। हिमा अप्रैल में गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों की 400 मीटर स्पर्धा में तत्कालीन भारतीय अंडर-20 रिकार्ड 51.32 सेकेंड के समय के साथ छठे स्थान पर रही थीं। इसके बाद गुवाहाटी में हाल में राष्ट्रीय अंतर राज्य चैंपियनशिप में उन्होंने 51 .13 सेकेंड के साथ अपने इस रिकार्ड में सुधार किया। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष आदिले सुमारिवाला ने हिमा दास को स्वर्ण पदक जीतने के लिए बधाई दी। दुनिया में भारत का डंका पीटने वाली हिमा किसी हाईप्रोफाइल फैमिली से नहीं बल्कि किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनका जन्म असम के नोगांव में 9 जनवरी 2000 में हुआ था। उनके पिता किसान हैं और चावल की खेती करते हैं। दिलचस्प ये है कि हिमा की दौड़ की ट्रेनिंग किसी रनिंग ट्रैक पर नहीं बल्कि उनके गांव ढींग में हुई है, जहां पर उनके पिता के धान के खेत हैं। इन्हीं धान के मैदानों में हिमा दौड़ लगाया करती थीं। -
उन्होंने स्थानीय विद्यालय से ही स्कूली शिक्षा प्राप्त की। अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान ही हिमा ने स्थानीय लड़कों के साथ फुटबॉल, किक बॉल खेला।
हिमा ने दौड़ से 18 माह पहले ही जिला स्तर पर दौड़ प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया था। हिमा को एक जिला प्रतियोगिता में दौड़ते हुए देखने पर उनके वर्तमान कोच निपोन ने उन्हें एथलेटिक्स में प्रशिक्षित किया था। -
हिमा को कोच निपोन दास ने बताया कि उन्हें पूरा विश्वास था कि हिमा कम से कम टॉप थ्री में जरूर शामिल होंगी।
कोच ने बताया कि हिमा ने दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था। वह 6 बच्चों में सबसे छोटी बेटी हैं। वह पहले लड़कों के साथ फुटबॉल खेलती थीं और एक स्ट्राइकर के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहती थीं। -
बेटी को एथलीट बनाने के लिए परिवार के पास पैसे की कमी थी लेकिन शुरुआत से ही उनके कोच ने उनकी सहायता कर आज हिमा को एक नया मुकाम दिलाया।
एथलीट बनने के लिए हिमा को अपना परिवार छोड़कर लगभग 140 किलोमीटर दूर आकर रहना पड़ा। पहले तो परिवार वाले इस बात के लिए राजी नहीं थे, हालांकि कोच निपोन के कहने पर परिवार राजी हुआ और फिर जो हुआ वो आज इतिहास बन गया। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी हिमा दास को उनकी कामयाबी के लिए बधाई दी है। इसके बाद पीएम मोदी और राष्ट्रपति कोविंद ने भी उन्हें सराहा। कांग्रेस नेता और जाने-माने वकील कपिल सिब्बल ने भी हुमा को बधाई दी है।