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रियो ओलंपिक्स में भारत को केवल एक रजत पदक और एक कांस्य पदक मिला। ये दोनों पदक प्रतियोगिता के खत्म होने से तीन दिन पहले मिले। रियो में भारत को तीन कांस्य पदक और मिल सकते थे अगर सानिया मिर्जा-रोहन बोपन्ना, दीपा कर्माकर और अभिनव बिंद्रा चौथे नंबर पर नहीं रहते। भारत ने इस बार अपना अब तक का सबसे बड़ा ओलंपिक दल भेजा था। 117 खिलाडि़यों में अगर हॉकी के 32 को निकाल देते हैं तो केवल 13 ही ऐसे थे जो अपने पर्सनल बेस्ट की बराबरी कर पाए। ट्रेक एंड फील्ड के 34 एथलीट में से केवल चार ही फाइनल में जा पाए या फिर नेशनल रिकॉर्ड बना पाए या फिर सीजन का बेस्ट प्रदर्शन कर पाए। (Photo:PTI)
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चार साल पहले लंदन ओलंपिक में भारत को 65 एकल खिलाडि़यों से 6 पदक मिले थे। साथ ही उस प्रतियोगिता में ट्रेक एंड फील्ड में 14 में से 6 एथलीट फाइनल में गए या नेशनल रिकॉर्ड बना पाने में सफल रहे थे। इसी साल भारतीय खेल प्राधिकरण यानि की साई ने एक लिस्ट तैयार की थी। इसमें 10-12 पदकों की उम्मीद की गई थी। 1964 टोक्यो ओलंपिक्स में 110 मीटर बाधा दौड़ में पांचवें नंबर पर रहे और भारतीय एथलेटिक्स फेडरेशन के चीफ सलेक्टर गुरबचन रंधावा ने बताया कि ज्यादा भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक में जीतने की उम्मीद ही नहीं रखते। वे सारा जोर क्वालिफाई करने पर ही लगा देते हैं। फिर आप बेस्ट नहीं हो सकते। रंधावा की बात सही भी लगती है। आइए कैसा रहा भारतीय खिलाडि़यों के प्रदर्शन में घर और रियो में अंतर:
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रियो ओलंपिक्स में भारत दूसरे ही दिन पदक जीत सकता था और यह पदक रजत होता। लेकिन 48 किलोग्राम महिला भोरात्तोलन में मीराबाई चानू अपना पर्सनल बेस्ट भी नहीं दे पाई। सलेक्शन से ठीक पहले चानू ने पटियाला में 192 किलो वजन उठाया था। रियो में वे केवल एक बार 82 किलो वजन उठा पाईं। रियो में इंडोनेशिया की वाहयूनी अगस्तियानी ने 192 किलो वजन उठाकर इसी इवेंट में सिल्वर मैडल जीता था। (Photo: Reuters)
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निशानेबाजी में जीतू रॉय को सबसे की सबसे बड़ी उम्मीद माना जा रहा था। लेकिन वे मुकाबले में भी नहीं दिखे। 2014 वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतकर उन्होंने 50 मीटर पिस्टल इवेंट के लिए क्वालिफाई किया है। क्वालिफिकेशन में उन्होंने 565 अंक बटोरकर सिल्वर जीता था। लेकिन रियो में वे केवल 554 अंक ले पाए और 12वें पायदान पर रहे। 10 मीटर पिस्टल इवेंट में उन्होंने 580 अंक लेकर 2016 वर्ल्ड कप में सिल्वर जीता था और रियो के लिए जगह बनाई थी। लेकिन यहां पर 580 अंक लेकर भी वे 8वें नंबर पर रहे। (Photo:PTI)
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लॉन्ग जंपर अंकित शर्मा ने भी टूर्नामेंट से एक महीने पहले ही नेशनल रिकॉर्ड बनाया था। लेकिन रियो में वे इससे आधा मीटर दूर रह गए, यहां उनकी जंप 7.67 मीटर रही। जबकि उन्होंने 8.19 मीटर की जंप कर क्वालिफाई किया था। अगर वे इसे दोहरा देते तो ओलंपिक में पांचवें नंबर पर रहते।
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भारत के नंबर एक टेबल टेनिस प्लेयर सौम्यजीत घोष पहले ही राउंड में हार कर बाहर हो गए। उनकी वर्ल्ड रैंकिंग 65 है जबकि उन्हें हराने वाले खिलाड़ी की रैंक 181 है। इसी तरह से शरत कमल, महिला वर्ग में मौमा दास व मणिका बत्रा भी पहले ही राउंड में हारकर बाहर हो गईं।
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ट्रिपल जंप में रंजीत माहेश्वरी ने एक महीने पहले ही 17.30 मीटर की जंप लगाकर नेशनल रिकॉर्ड बनाया था। लेकिन रियो में उनकी जंप 16.13 मीटर ही रही। अगर वे अपनी पर्सनल बेस्ट जंप तक पहुंच पाते तो वे रियो में चौथे नंबर पर रहते।
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अवतार सिंह रियो ओलंपिक्स में भारत की ओर से जूडोका में क्वालिफाई करने वाले इकलौते खिलाड़ी थे। लेकिन वे पहले ही राउंड में हार गए। उनकी वर्ल्ड रैंक 72 है जबकि उन्हें हराने वाला खिलाड़ी 91वें नंबर पर है। उन्हें रिफ्यूजी टीम की ओर से खेले पोपोल मिसेंजा ने हराया।
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सीमा अंतिल ने 62.62 मीटर डिस्कस फेंककर रियो ओलंपिक्स के लिए क्वालिफाई किया था। लेकिन रियो में उनका डिस्कस थ्रो 57.58 मीटर से आगे नहीं जा पाया। उनके क्वालिफिकेशन मार्क से रियो का थ्रो 5 मीटर दूर रह गया।
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विकास गौड़ा ने 65.14 मीटर डिस्कस थ्रो कर रियो ओलंपिक में जगह बनाई थी। लेकिन रियो में उनका थ्रो 58.99 से आगे नहीं गया। इसके चलते वे फाइनल में नहीं जा पाए।
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दीपिका कुमारी तीरंदाजी में मजबूत दावेदार थी। लेकिन रियो में वे बिल्कुल बैरंग दिखीं। तीसरी वर्ल्ड रैंकिंग वाली दीपिका प्री- क्वार्टरफाइनल से बाहर हो गई। वहीं टीम मुकाबले में भारत पहले ही दौर में बाहर हो गया।
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गगन नारंग ने लंदन ओलंपिक में कांस्य जीता था। रियो में उन्होंने 50 मीटर राइफल प्रोन में हिस्सा लिया। 2015 में उन्होंने 626.3 अंक लेकर क्वालिफाई किया लेकिन रियो में 623.1 अंक के साथ वे 13वें नंबर पर रहे।
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शिवा थापा बैंटमवेट मुक्केबाजी में पदक के उम्मीदवार थे। लेकिन वे पहले ही राउंड में बाहर हो गए। उनकी वर्ल्ड रैंकिंग तीन है। थापा को रियो गए मुक्केबाजों में सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था। लंदन ओलंपिक में भी उन्होंने निराश किया था।
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योगेश्वर दत्त ने लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। रियो में वे 65 किलोग्राम पुरुष कुश्ती में पदक के दावेदार थे। लेकिन वे पहले ही राउंड में हारकर बाहर हो गए। उनकी वर्ल्ड रैंकिंग 12वीं है। (Photo: PTI)
