-
किसी खेल में टीम कैसा प्रदर्शन करेगी, यह दो लोगों पर निर्भर करता है, पहला कोच और दूसरा कप्तान। दोनों अगर मिलकर काम करें तो कोई भी टीम बुलंदियों पर पहुंच सकती है, लेकिन अगर दोनों में ठन जाए तो अर्श से फर्श पर आने में देर नहीं लगती। रिपोर्ट्स के मुताबिक अनिल कुंबले और विराट कोहली के बीच मतभेद के कारण भारतीय टीम को चैम्पियंस ट्रॉफी में मात मिली थी। टीम ने पूरे दौरे में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन फाइनल में आकर ढेर हो गई। लेकिन यह पहला एेसा मामला नहीं था, जब कोच और कप्तान में ठनी हो। क्रिकेट इतिहास एेसे विवादों से भरा पड़ा है। आपको बताते हैं एेसे 5 विवाद, जब कोच और कप्तान में था 36 का आंकड़ा :
-
सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल : जॉन राइट के जाने के बाद ग्रेग चैपल साल 2005 में भारतीय टीम के कोच बने। उस वक्त सौरव गांगुली टीम इंडिया के कप्तान थे। उन्होंने ही डेव व्हॉटमोर और टॉम मूडी की जगह चैपल के नाम का समर्थन किया था, जबकि उन्हें व्हॉटमोर और मूडी से कोचिंग का कम अनुभव था। पद संभालने के कुछ समय बाद ही चैपल ने गांगुली से कप्तानी से हट जाने और सिर्फ बल्लेबाजी पर ध्यान देने को कहा। उस वक्त गांगुली फॉर्म में नहीं थे और उन्होंने दो साल में एक भी टेस्ट सेंचुरी नहीं ठोकी थी। 'दादा' को यह सुझाव पसंद नहीं आया और उन्होंने जिम्बॉब्वे दौरे के बीच में टीम छोड़ने की धमकी दे दी। इसके बाद चैपल ने बीसीसीआई को एक ई-मेल लिखा, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि गांगुली अपनी कप्तानी बचाने की भरसक कोशिश कर रहा है। यह मेल बाद में लीक हो गया। रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि टीम के अन्य खिलाड़ी भी असुरक्षा के भाव के कारण नाखुश थे। 2007 विश्व कप से भारत के बाहर होने के बाद चैपल को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
-
केविन पीटरसन-पीटर मोरिस : अॉस्ट्रेलिया के हाथों एशेज सीरीज में 0-5 से हार और 2007 के विश्व कप में सुपर 8 से आगे बढ़ पाने में नाकाम रहने के बाद इंग्लैंड ने पीटर मोरिस को टीम का नया कोच बनाया। इससे पहले डंकन फ्लेचर टीम के कोच थे। माइकल वॉन ने 2008 में कप्तानी छोड़ दी थी। इसके बाद केविन पीटरसन कप्तान बने। मोरिस और पीटरसन की अगुआई में इंग्लैंड ने साल 2008 में भारत का दौरा किया। इंग्लिश टीम 7 मैचों की वनडे सीरीज 0-5 और 0-1 से टेस्ट मैच सीरीज हारी। इस करारी शिकस्त के बाद पीटरसन ने मोरिस के साथ काम करने से इनकार कर दिया और नए कोच के लिए शेन वॉर्न का नाम प्रस्तावित किया। ईसीबी में कई आपातकालीन बैठकें हुईं और मोरिस ने कोच और पीटरसन ने कप्तानी से इस्तीफा दे दिया।
गौतम गंभीर और केपी भास्कर : अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा भारत के घरेलू क्रिकेट में भी कोच और कप्तान की नहीं बनी थी। दिल्ली रणजी टीम के कप्तान थे गौतम गंभीर। मामला सामने उस वक्त आया जब मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि गंभीर और कोच केपी भास्कर के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। गंभीर ने किसी भी अप्रिय घटना से इनकार करते हुए यह स्वीकार किया कि उन्होंने टीम में युवा खिलाड़ियों के लिए असुरक्षित वातावरण बनाने को लेकर कोच से सवाल किए थे। दिल्ली का 2016-17 में भास्कर के कार्यकाल के दौरान बदतर प्रदर्शन था और सभी फॉर्मेट्स में फेल रही थी। इसके बाद डीडीसीए ने इस मामले की जांच की और गंभीर पर 4 मैचों का बैन लगाते हुए उन्हें 2019 तक के लिए सस्पेंड कर दिया। -
शाहिद आफरीदी और वकार यूनुस : पाकिस्तान क्रिकेट टीम भी कोच और कप्तान की अनबन से अछूती नहीं रह पाई। आमने-सामने थे शाहिद आफरीदी और वकार यूनुस। 2011 में मामला उस वक्त सामने आया, जब टीम वेस्टइंडीज दौरे पर थी। अंजाम यह हुआ कि आफरीदी को अपनी कप्तानी गंवानी पड़ी और वह रिटायर भी हो गए। मामला दोबारा उठा, जब वकार का दूसरा कार्यकाल था। उन्होंने एशिया कप वर्ल्ड टी20 में आफरीदी की प्रतिबद्धता को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि आफरीदी न ही नेट प्रैक्टिस के लिए आते हैं और न ही मीटिंग के लिए। उन्होंने मैदान पर उनके प्रदर्शन पर भी तंज कसे थे। इस टूर्नामेंट के बाद मिकी अॉथर को नया कोच बनाया गया और आफरीदी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
-
सचिन तेंडुलकर और कपिल देव : भारतीय क्रिकेट के दो दिग्गज। लेकिन सचिन और कपिल को कभी एक दूसरे का साथ नहीं भाया। हो सकता है आपको यकीन न हो, लेकिन यह सच है। कपिल को साल 1999 में भारतीय टीम का कोच बनाया गया था। उस वक्त सचिन दूसरी बार कप्तान बने थे। बतौर प्लेयर और पहला वर्ल्ड कप जिताने वाले कपिल का कोचिंग स्टाइल वैसा कमाल नहीं कर पाया और भारत अॉस्ट्रेलिया दौरे पर 0-3 से सीरीज हार गया। 2000 की शुरुआत में भारतीय क्रिकेट में मैच फिक्सिंग का साया भी मंडराया। अपनी अॉटोबायोग्राफी 'प्लेइंग इट माई वे' में सचिन ने कपिल के कोचिंग स्टाइल पर नाखुशी जताई और कहा कि पूर्व कप्तान कभी टीम की बैठकों में शामिल नहीं होते थे। वहीं कपिल ने इस बारे में कहा कि यह उनका मत है। मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना।