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रियो ओलंपिक में भारत को सिर्फ दो पदक के साथ ही संतोष करना पड़ा है। पिछले दो ओलंपिक में भारत के बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए इस बार के प्रदर्शन को निराशाजनक ही कहा जा सकता है। जिन बड़े नामों से भारत को उम्मीदें थी वो ओलंपिक में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए लेकिन इस ओलंपिक कुछ ऐसे खिलाड़ी भी रहे जिन्होंने अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया। 124 खिलाड़ियों के भारतीय दल में से ये सात खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्होंने अपने प्रदर्शन से आगे के लिए उम्मीद जगाई हैं।
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स्पेन की विश्व नंबर एक कैरोलिना मारिन को कड़ी टक्कर देने के बाद ओलंपिक रजत पदक से संतोष करने वाली सिंधु भारत में खेलों का सबसे चमकीला सितारा बनकर उभरी हैं। अर्जुन पुरस्कार विजेता वॉलीबॉल खिलाड़ी पी वी रमन्ना की बेटी सिंधु को खेलों की दुनिया में आने के लिए कहीं बाहर से प्रेरणा पाने की जरूरत नहीं थी। 21 साल की खिलाड़ी ने 2001 में पुलेला गोपीचंद को ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियन बनते देखा और इसके बाद उनसे प्रेरणा पाते हुए बैडमिंटन को अपनी मंजिल बना लिया। बाद में यहीं गोपीचंद उनके कोच बने और उन्हें ओलंपिक में भारत का सबसे बुलंद सितारा बना दिया। अब तक दूसरी बैडमिंटन खिलाड़ी पूर्व विश्व नंबर एक साइना नेहवाल के साए में रहीं सिंधु ने अब अपनी अलग पहचान बना ली है।
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23 साल की साक्षी उत्तर भारत के हरियाणा से आती हैं, एक ऐसे राज्य से जहां कन्या भ्रूण हत्या की समस्या अब भी चिंता का विषय है। साक्षी ने अपने तीनों बाउट में पिछड़ने के बावजूद जिस तरह से अदम्य साहस का परिचय देते हुए कांस्य पदक जीता, वह प्रेरणा का स्रोत है। साक्षी रोहतक के जिस गांव से आती है वहां कभी उनके कुश्ती खेलने और इसके लिए उनके माता पिता के मंजूरी देने पर सवाल उठे थे लेकिन इस खिलाड़ी के कांस्य पदक जीतने पर वही गांव आज जश्न में डूबा हुआ है। साक्षी की इस सफलता के पीछे उनके बस कंडक्टर पिता और आंगनवाड़ी में काम करने वाली मां का बड़ा योगदान है जो हर कदम पर अपनी बेटी के साथ खड़े रहे।
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23 साल की साक्षी उत्तर भारत के हरियाणा से आती हैं, एक ऐसे राज्य से जहां कन्या भ्रूण हत्या की समस्या अब भी चिंता का विषय है। साक्षी ने अपने तीनों बाउट में पिछड़ने के बावजूद जिस तरह से अदम्य साहस का परिचय देते हुए कांस्य पदक जीता, वह प्रेरणा का स्रोत है। साक्षी रोहतक के जिस गांव से आती है वहां कभी उनके कुश्ती खेलने और इसके लिए उनके माता पिता के मंजूरी देने पर सवाल उठे थे लेकिन इस खिलाड़ी के कांस्य पदक जीतने पर वही गांव आज जश्न में डूबा हुआ है। साक्षी की इस सफलता के पीछे उनके बस कंडक्टर पिता और आंगनवाड़ी में काम करने वाली मां का बड़ा योगदान है जो हर कदम पर अपनी बेटी के साथ खड़े रहे।
बैडमिंटन पुरुष एकल में भारतीय खिलाड़ी श्रीकांत ने अपने प्रद्रशन से सबको प्रभावित किया। सिंधू की तरह ही गोपीचंद के शिष्य श्रीकांत ने दुनिया के पांचवें नंबर के खिलाड़ी डेनमार्क के यान ओ योर्गेनसन को हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। क्वार्टरफाइनल में श्रीकांत का सामना दो बार के ओलंपिक चैम्पियन चीन के लिन डैन से हुआ। इस मैच में श्रीकांत ने लिन डैन को जबरदस्त चुनौती पेश की हालांकि वो मैच नहीं जीत पाए लेकिन उनके संघर्ष की सबने तारीफ की। -
भारत के लोग शायद ललिता बाबर को ज्यादा समय तक याद ना रखें क्योंकि 3000 मीटर के स्टीपलचेज के फाइनल में वह दसवें स्थान पर रहीं। लेकिन रियो के मराकाना स्टेडियम में छठे स्थान पर रहकर फाइनल के लिए क्वालीफाई कर जो उपलब्धि हासिल की वह सराहनीय है। महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक सूखा प्रभावित गांव से आने वाली लंबी दूरी की धाविका दो जून की रोटी के लिए जद्दोजहद करने वाले बहुत सारे भारतीयों की जीजिविषा का प्रतीक हैं। ललिता ने ओलंपिक में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिया, वह भले ही दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के करीब नहीं थीं लेकिन निश्चित तौर पर उन्होंने उस खेल में अपनी ताकत दिखायी जिसमें मिल्खा सिंह और पीटी उषा के बाद से देश को कोई और महानायक नहीं मिला है।
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भारतीय पुरुष हॉकी टीम के गोलपीकर कप्तान श्रीजेश ने रियो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया। श्रीजेश ने कई अहम पलों पर गोल रोककर भारतीय टीम को मैच में बनाए रखा। अगर भारतीय टीम 36 सालों बाद ओलंपिक क्वार्टरफाइनल में जगह बना पाई तो उसके पीछे एक बड़ा कारण श्रीजेश भी हैं। भारतीय हॉकी टीम के लिए संतोष करने वाली एक यह बात हो सकती है कि इस बार की ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाली अर्जंटीना की टीम को भारतीय टीम ने लीग मैच मे मात दी थी।
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तीरंदाजी में भारत की उम्मीदें अपनी महिला खिलाड़ियों से थी लेकिन भारत के युवा तीरंदाज अतनु दास ने अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। अतनु क्वार्टरफाइनल मुकाबले दुनिया के आठवें नंबर के तीरंदाज ली सेयुंग युन से 4-6 से हारकर बाहर हो गए लेकिन कई मौके पर उनका प्रदर्शन तारीफ के काबिल रहा। अतनु के प्रदर्शन को देखते हुए भविष्य में उनसे पदक की उम्मीद लगाई जा सकती है।