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क्रिकेट में अलग-अलग क्रम पर बल्लेबाजी करना एक चुनौती है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती नई गेंद के सामने ओपनिंग करना होता है। भारत ने विश्व क्रिकेट को कई बेहतरीन ओपनिंग बल्लेबाज दिए हैं। हम आपको भारत के ऐसे ही पांच बल्लेबाजों के बारे में जिन्होंने एकदिवसीय मैचों में पारी की शुरूआत करते हुए कई शानदार पारियां खेली हैं…
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सचिन तेंदुलकर: विश्व के सबसे महानतम क्रिकेट खिलाड़ियों में से शुमार सचिन तेंदुलकर ने भारत के लिए एकदिवसीय मैचों में लंबे समय तक ओपनिंग बल्लेबाजी की भूमिका निभाई है। वनडे में सचिन तेंदुलकर से ज्यादा किसी भी खिलाड़ी के रन नहीं हैं। इस दाएं हाथ के बल्लेबाज ने 463 मैचों में 44.83 की औसत से कुल 18426 रन बनाए हैं। उन्होंने 2010 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ नाबाद 200 रन बनाकर वनडे में दोहरा शतक जड़ने वाले पहले विश्व का पहला खिलाड़ी होने का गौरव हासिल किया था। बेहतरीन बल्लेबाजी करने के अलावा, सचिन ने गेंदबाजी में भी अपना हुनर दिखाया है, जिसमें 154 विकेट उनके नाम हैं और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 5/32 रहा है।
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सौरव गांगुली: भारत के सफलतम कप्तानों में शुमार पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली ने भारत के लिए एकदिवसीय क्रिकेट में सलामी बल्लेबाज की भूमिका बहुत समय तक निभायी है। वीरेंदर सहवाग के टीम में स्थायी होने तक सौरव गांगुली ही सचिन के साथ वनडे में भारतीय पारी की शुरूआ करते थे। उन्होंने टीम की कप्तानी करने के आलावा बल्लेबाज के तौर पर भी टीम की अगुवाई की। अपने 16 साल लम्बे क्रिकेट करियर में, सौरव गांगुली का भारतीय क्रिकेट में सराहनीय योगदान रहा है। आंकड़ों पर नज़र डालें तो सौरव गांगुली ने 311 वनडे मैचों में कुल 11363 रन बनाए हैं, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 183 रन रहा है। सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर की ओपनिंग जोड़ी को क्रिकेट के मैदान की सुपरहिट जोड़ी कहा जाता था और गेंदबाजों पर कहर बरसाने के लिए ये दोनों प्रसिद्ध थे।
वीरेंदर सहवाग: वीरेंदर सहवाग ने वनडे के साथ ही टेस्ट मैचों में अपनी धुंआधार बल्लेबाजी से ओपनिंग के मायने ही बदल दिए। सहवाग के बहुत बेहतरीन फुटवर्क नहीं था, लेकिन हाथ और आंख के बेहतरीन तालमेल से उनके शॉटफस की टाइमिंग बेहतरीन होती थी। अपने शानदार वनडे करियर में, इस दाएं हाथ के बल्लेबाज ने 35.05 की औसत से 8273 रन बनाए। इस दौरान सहवाग का स्ट्राइक रेट 104.33 का रहा। वीरेंदर सहवाग ने पहले सचिन और उसके बाद गौतम गंभीर के साथ एक अच्छी ओपनिंग जोड़ी बनाई, जिसने भारत को ज्यादातर मौकों पर एक सधी हुई शुरुआत दिलाने में अहम रोल निभाया। सचिन तेंदुलकर के बाद 37वर्षीय वीरेंद्र सहवाग वनडे में दोहरा शतक जड़ने वाले दूसरे भारतीय बल्लेबाज बने। ये कारनामा वीरु ने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ इंदौर में किया था। -
गौतम गंभीर: दिल्ली के ओपनिंग बल्लेबाज गौतम गंभीर ने स्पिन गेंदबाजों को खेलने का तरीका ही बदल दिया जो उनके खेल का सबसे बड़ा हथियार है। गौतम गंभीर के अंदर आक्रामक खेल दिखाने के साथ-साथ डटकर खेलने की लाजवाब क्षमता है, और इस 35 वर्षीय खिलाड़ी ने ये साबित कर दिया है कि वो बड़े मौकों पर खरे उतरने वाले खिलाड़ियों में से एक हैं। भारतीय प्रशंसकों को आज भी 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में गौतम गंभीर का योगदान याद होगा, जब भारत के दो विकेट गिरने के बाद गौतम गंभीर ने जिस तरह पारी को संभाला और भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई। इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने अपने करियर में 5238 रन बनाएं है, इस दौरान उनकी औसत 39.68 की रही है। अगर आंकड़ों के मामले में उनकी तुलना किसी और खिलाड़ी से किया जाए, तो उनका प्रभाव एक ओपनिंग बल्लेबाज के तौर पर काफी बड़ा था।
रोहित शर्मा: एक मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज से शानदार ओपनिंग बल्लेबाज बनने तक के सफर में रोहित शर्मा को भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का शुक्रिया करना चाहिए, क्योंकि धोनी ने ही रोहित पर भरोसा दिखाकर उन्हें ओपनिंग करने के लिए मौका दिया। मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करते वक्त रोहित की औसत 30 के करीब रही, बाद में 42 हुई, और बतौर ओपनिंग बल्लेबाज उनकी औसत 50 पर पहुंच गई है, जो बेहद शानदार है। अपने शानदार तकनीक और उम्दा बैटिंग स्टाइल के दम पर उन्होंने न सिर्फ कई रिकॉर्ड्स तोड़े बल्कि इस युग के सर्वश्रेष्ठ ओपनिंग बल्लेबाजों की लिस्ट में खुद के लिए मुकाम हासिल करने में कामयाब भी हुए। 29 वर्षीय इस खिलाड़ी ने अपने वनडे करियर में काफी ऊंचा मुकाम हासिल कर लिया है और वनडे में दो दोहरे शतक लगाकर उन्होंने इस फॉर्मेट में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।