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राहुल द्रविड़ भारतीय क्रिकेट टीम की दीवार कहे जाने वाले द्रविड़ 16 सालों के करियर में टीम के टॉप बैटिंग ऑर्डर के मजबूत स्तंभ में से एक थे। पिच पर टिक कर खेलने और फिट रहने की वजह से वह एक दौर में लगातार 93 टेस्ट मैच खेल गए थे।
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कपिल देव अपने दौर के फिट खिलाड़ियों में से थे। 16 सालों के टेस्ट करियर में उन्होंने 131 टेस्ट मैच खेले, जिसमें सिर्फ एक से बाहर रहना पड़ा था। वह उनका 67वां टेस्ट मैच था। उन्हें तब चोट के कारण बाहर नहीं, बल्कि पिछले मैच में ढीले शॉट खेलने के कारण टीम से बाहर रहना पड़ा था।
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मिस्टर क्रिकेट के नाम से मशहूर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी माइक हसी हाल के कुछ सालों में सबसे फिट खिलाड़ियों में गिना जाने लगा है। वह टीम के लिए तीनों फॉर्मेट्स में खेलते हैं। आठ सालों के टेस्ट करियर में वह बिना किसी अवरोध के 79 मैच खेल गए।
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टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने भले ही इस फेहरिस्त के हिसाब से उतने मैच न खेलें हों, लेकिन हाल-फिलहाल में वह दुनिया के सबसे क्रिकेटर हैं। ताबड़तोड़ तरीके से टेस्ट, वनडे और टी-20 खेलते हैं। जलवा बिखेरते हैं, वह भी बगैर किसी चोट के। हां, पिछले साल कंधे में चोट के चलते वह एक मैच से बाहर रहे थे, लेकिन यह बेहद मामूली बात है।
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12 सालों के इंटरनेशनल क्रिकेट करियर में ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर और बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट ने अपने प्रतिद्वंदियों को कभी भी खुद को मैच से बाहर कराने का कोई मौका नहीं दिया। 287 वनडे, 96 सेट्स और 12 टी-20 खेल गया, लेकिन कभी भी लंबे वक्त तक चोट के चलते टीम से बाहर न रहा। 96 मैच कंगारू टीम की ओर से खेले और कभी भी चोट या बाकी कारणों से मैच नहीं मिस किया।
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ऑस्ट्रेलियाई महान बल्लेबाज मार्क वॉ।
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2012 में भारत और इंग्लैंड के मैच के दौरान अंग्रेज टीम गर्मी से परेशान हो गई थी। मगर एक खिलाड़ी था, जो यहां की भयंकर धूप के आगे पिच पर घंटों जमा रहा। नाम था- एलेस्टेयर कुक। वह अब तक किसी चोट के चलते लंबे वक्त तक परेशान नहीं रहे हैं। 147 टेस्ट मैचों में से 145 में खेले हैं, जिससे साफ है कि वह चोटों से बचने में कायमाब रहते हैं।
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क्रिकेट में सबसे कम चोटों का शिकार होने वालों में से एक एलन बॉर्डर भी थे। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की ओर से 156 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 153 में वह बगैर किसी ब्रेक के खेले। करियर में 273 वनडे भी खेले, मगर कभी लंबे वक्त तक गहरी चोट का शिकार नहीं रहे।
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न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान रहे ब्रेंडन मैकलम ने इतना धुआंधार क्रिकेट खेला है कि आज भी कई खिलाड़ी उनसे प्रभावित होते हैं। वह ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनसे 12 साल के करियर में एक भी टेस्ट मैच नहीं छूटा। मैकलम को न ही कभी चोट आई और न ही उन्हें कोई और कारण टीम से बाहर रख पाया।
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महेंद्र सिंह धोनी ने साल 2004 में डेब्यू किया था और 2005 से वह टीम की ओर से सभी फॉर्मेट्स खेलने लगे थे। 303 वनडे, 90 टेस्ट और 78 टी-20 मैच खेलने के अलावा उन्होंने 266 आईपीएल मैच भी खेले। चोट के कारण टीम से बाहर नहीं रहना पड़ा। वह भी तब, जब धोनी मल्टी टास्किंग मोड में थे। वह टीम के कप्तान, विकेटकीपर और टीम के मुख्य बल्लेबाजों में से एक थे। इसलिए गलत नहीं कहा जाता है कि अब ऐसा कोई खिलाड़ी नहीं रहा, जिसने उनके जितना ज्यादा क्रिकेट खेला हो और चोटों को मात दी हो।