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भारतीय क्रिकेट के ‘दादा’ सौरव गांगुली का नाम सुनते ही आंखों के सामने एक ऐसा चेहरा उभरता है, जिसने टीम इंडिया को आक्रामकता, आत्मविश्वास और जीतने का जज्बा सिखाया। 8 जुलाई 1972 को कोलकाता में जन्मे सौरव गांगुली मंगलवार को अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। आइए जानते हैं उनके जीवन के बचपन से लेकर क्रिकेट के शिखर तक पहुंचने की प्रेरणादायक कहानी। (Photo Source: @souravganguly/instagram)
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बचपन से ही ‘महाराज’ की तरह जीवन
सौरव गांगुली का जन्म एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता चंडीदास गांगुली कोलकाता के प्रमुख बिजनेसमैन थे और प्रिंटिंग का बड़ा कारोबार संभालते थे। यही कारण है कि गांगुली का बचपन लग्जरी और ऐशो-आराम में बीता। घर में उन्हें ‘महाराज’ कहकर बुलाया जाता था, जिसका मतलब होता है – ‘महान राजा’। (Photo Source: @souravganguly/instagram) -
मां की नापसंदगी, भाई का साथ
गांगुली की मां निरूपा गांगुली शुरू में नहीं चाहती थीं कि उनका बेटा क्रिकेट या किसी अन्य खेल को करियर बनाए। वहीं बड़े भाई स्नेहाशीष पहले ही बंगाल के लिए क्रिकेट खेलते थे। उन्होंने गांगुली के सपनों को उड़ान दी और पिता को मनाकर एक कोचिंग कैंप में भर्ती कराया। उस समय गांगुली दसवीं कक्षा में पढ़ते थे। (Photo Source: @souravganguly/instagram) -
दाएं हाथ से थे लेकिन खेला बाएं से
दाएं हाथ से बल्लेबाजी करने के बावजूद गांगुली ने बाएं हाथ से बल्लेबाजी करना सीखा, ताकि वे अपने भाई का क्रिकेट किट इस्तेमाल कर सकें। बाद में उनका टैलेंट देखकर उन्हें क्रिकेट अकैडमी में दाखिल किया गया और घर में ही एक इंडोर जिम और कंक्रीट विकेट बना दिया गया ताकि वे भाई के साथ प्रैक्टिस कर सकें। (Photo Source: @souravganguly/instagram) -
शुरुआती विवाद और आत्मविश्वास
गांगुली बचपन से ही कॉन्फिडेंट रहे हैं। एक बार जूनियर टीम के साथ टूर पर गए तो उन्होंने बारहवें खिलाड़ी की जिम्मेदारी निभाने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें यह काम अपनी सामाजिक हैसियत के खिलाफ लगा। हालांकि उनके टैलेंट के कारण उन्हें 1989 में बंगाल की टीम से फर्स्ट-क्लास डेब्यू का मौका मिल गया। (Photo Source: @souravganguly/instagram)
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शानदार क्रिकेट करियर
गांगुली ने 1992 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया और जल्दी ही अपने शानदार खेल से सबका दिल जीत लिया। उन्होंने 11363 रन वनडे क्रिकेट में बनाए, जो दुनिया में नौवें सबसे अधिक हैं। वे तीसरे भारतीय खिलाड़ी थे जिन्होंने वनडे में 10,000 से ज्यादा रन बनाए। विश्व कप 1999 में श्रीलंका के खिलाफ खेली गई 183 रन की पारी आज भी यादगार है। (Photo Source: @souravganguly/instagram) -
कप्तानी में टीम इंडिया को दिलाया आत्मविश्वास
वह भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के कप्तान थे और उन्हें भारत के सबसे सफल क्रिकेट कप्तानों में से एक माना जाता है। गांगुली ने जब टीम इंडिया की कप्तानी संभाली, उस समय भारतीय क्रिकेट विवादों और हार से जूझ रहा था। उन्होंने खिलाड़ियों में जीतने का जज्बा भरा, युवाओं को मौका दिया और विदेशी पिचों पर मुकाबला करने का आत्मविश्वास भी दिया। (Photo Source: @souravganguly/instagram) -
कप्तान के रूप में, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय टीम को 2002 ICC चैंपियंस ट्रॉफी जीतने और 2003 क्रिकेट विश्व कप, 2000 ICC चैंपियंस ट्रॉफी और 2004 एशिया कप के फाइनल में पहुंचने के लिए नेतृत्व किया। यही वजह है कि उन्हें भारतीय क्रिकेट का महाराजा भी कहा जाता है। (Photo Source: @souravganguly/instagram)
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निजी जीवन और सम्मान
सौरव गांगुली ने डांसर डोना गांगुली से शादी की और उनकी एक बेटी सना है। उन्हें 2004 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया और 2019 में BCCI के अध्यक्ष भी बने। इसके अलावा वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त IPL स्पॉट फिक्सिंग जांच पैनल के भी सदस्य रह चुके हैं। सौरव गांगुली ने 2008 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया था। (Photo Source: @souravganguly/instagram)
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