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पहला वनडे शतक: पिंच हिटर के रूप में बल्लेबाजी क्रम में पहली बार नंबर तीन पर प्रमोट किए जाने के बाद महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी का मुजाहिरा पेश किया। पाकिस्तान के खिलाफ 15 चौकों और 4 छककों की मदद से 148 रन की पारी खेल अपने वनडे करियर का पहला शतक लगाया। (Photo: BCCI)
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पहला टेस्ट शतक: महेंन्द्र सिंह धोनी ने इत्तेफाक से अपना पहला टेस्ट शतक भी पाकिस्तान के खिलाफ ही लगाया। उन्होंने फैसलाबाद में शोएब अख्तर की जमकर धुनाई करते हुए 19 चौाकों और 4 छक्कों की मदद से 148 रन की पारी खेली, उनकी इस पारी की बदौलत भारत वह टेस्ट मैच बचाने में भी कामयाब रहा।(Photo: BCCI)
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टेस्ट में पहला दोहरा शतक: लगातार हार झेल रही टीम इंडिया को एक अदद सीरीज जीत की तलाश थी। महेंद्र सिंह धोनी ने कप्तान की जिम्मेदारी निभाते हुए भारत दौरे पर आई आॅस्ट्रेलियाई टीम को चार टेस्ट मैचों की सीरीज में 4-0 क्लिन स्वीप किया। चेन्नई के चेपक ग्राउंड पर खेले गए इस सीरीज के आखिरी मैच में कप्तान धोनी ने 24 चौकों और 6 छक्कों की मदद से टेस्ट मैचें में अपना पहला दोहरा शतक लगाया। (Photo: BCCI)
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टी20 वर्ल्ड कप 2007: इसी साल वनडे विश्व कप में बांग्लादेश से हारकर पहले ही दौर में बाहर होने के बाद कई सीनियर खिलाड़ियों पर गाज गिरी और टी20 वर्ल्ड कप के पहले संस्करण के लिए टीम में नए खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी को कप्तान बनाया गया। किसी को भी धोनी की कप्तानी और इस नई टीम से यह उम्मीद नहीं थी कि वे भारत के लिए विश्व कप जीत लेंगे। लेकिन, अनहोनी को होनी करने वाले शख्स का ना धोनी है। भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को हराकर पहले टी20 विश्व कप खिताब पर कब्जा जमाया। (Photo: BCCI)
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2007 में टी20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद ट्रॉफी के साथ मैदान में जश्न मनाते तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी।(Photo: BCCI)
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कप्तान के रूप में विदेशी धरती पर पहली टेस्ट सीरीज जीत: 2007 टी20 विश्व कप में अपने नेतृत्व में भारत को विश्व विजेता बनाने के बाद महेंद्र सिंह धोनी को एकदिवसीय टीम का भी कप्तान बनाया गया। 2008 में अनिल कुंबले के संन्यास लेने के बाद महेंद्र सिंह धोनी कप्तान बने और न्यूजीलैंड को उसी के घर में 1-0 से हराकर विदेश में टेस्ट सीरीज जीतने का लंबा सूखा खत्म किया। इसके साथ ही भारत आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में पहली बार नंबर एक टीम बनने में सफल हुआ।(Photo: BCCI)
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साल 2011 में खेले गए वनडे विश्व कप के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ धोनी के इसी शॉट ने भारत को 28 साल बाद दोबारा विश्व चैंपियन बनाया था। एमएस धोनी ने छक्का जड़कर भारत को फाइनल में जीत दिलायी थी। (Photo: BCCI)
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महेंद्र सिंह धोनी के वर्ल्ड कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ विजयी छक्का जड़ते ही उनके साथ दूसरे छोर पर बल्लेबाजी कर रहे युवराज सिंह खुशी के मारे रो पड़े। धोनी के विजयी शॉट लगाने के बाद उनसे गले मिलते भावुक युवराज सिंह।(Photo: BCCI)
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साल 2011 की विश्व कप जीत कई खिलाड़ियों के लिए काफी अहम थी। उनमें से ही एक नाम सचिन तेंदुलकर का भी था। सचिन अपने क्रिकेट करियर के आखिरी दौर से गुजर रहे थे। भारत को विश्व विजेता बनते देखना सचिन का सपना था। 2011 विश्व कप में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी उनका यह सपना पूरा हुआ। भारत को जीत दिलाने के बाद पैवेलियन लौटते कप्तान धोनी को गले लगाते भावुक सचिन तेंदुलकर।(Photo: BCCI)
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2011 विश्व कप: मुंबई के वानखेड़े मैदान में दर्शकों के हुजूम के बीच खेले गए विश्व कप फाइनल मुकाबले में भारत ने श्रीलंका को हराकर 28 साल के लंबे इंतजार के बाद विश्व खिताब पर कब्जा किया। फाइनल मुकाबले में उन्होंने गौतम गंभीर के साथ मिलकर भारत को जीत दिलायी। विराट कोहली के रूप में भारत का तीसरा विकेट गिरने के बाद धोनी मैदान में बल्लेबाजी के लिए उतरे और नाबाद 91 रनों की पारी खेलकर भारत को जीत दिलायी। धोनी में नुवान कुलशेखरा की गेंद पर लांग आॅन के उपर गगनचुम्बी छक्का जड़ भारत को विश्व कप विजेता बनाया। (Photo: BCCI)
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भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के साथ राष्ट्रपति भवन में फोटो शूट कराती विश्व कप विजेता भारतीय टीम।(Photo: BCCI)
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2013 चैंपियंस ट्रॉफी: इंग्लैंड के हाथों 2011 में हार झेलने के बाद भारत के पास चैंपियंस ट्रॉफी जीतने का मौका था। वहीं, कप्तान के तौर पर टी20 और वनडे विश्व कप जीतने के बाद धोनी के पास आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीतकर सभी आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाला दुनिया का पहला कप्तान बनने का मौका था। महेंद्र सिंह धोनी ने अपने नेतृत्व में भारत को आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का भी खिताब जिताया। (Photo: BCCI)