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भारोत्तोलक संजीता चानू ने कमर की तकलीफ से जूझने के बावजूद एक नए रिकॉर्ड के साथ राष्ट्रमंडल खेलों में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने कुल 192 किलो (84 और 108 किलो) वजन उठाकर पीला तमगा जीता। संजीता ने 2014 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किलो वर्ग में स्वर्ण जीता था। वह पापुआ न्यू गिनी की लोआ डिका तोउआ से आगे रहीं, जिसने 182 किलो वजन उठाया। संजीता ने बाद में कहा, ‘‘मैंने राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में इससे बेहतर प्रदर्शन किया था लेकिन मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं।’’ पदक लेते समय संजीता रो पड़ी और पिछले कुछ महीने से अच्छे प्रदर्शन का दबाव पोडियम पर उनके आंसुओं के रूप में नजर आया। उन्होंने कहा, ‘‘कई लोगों ने कहा कि मैं पदक नहीं जीत सकती। पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप के दौरान मुझे कमर में चोट लगी थी और मैं पूरी तरह उबर नहीं सकी हूं। मैं अभी 90 प्रतिशत ही फिट हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे फिजियो को यहां आने की अनुमति नहीं मिली चूंकि एक्रीडिटेशन का मसला था। मैं पदक समारोह के दौरान रो पड़ी क्योकि काफी दबाव था।’’ देखिए संजीता चानू की तस्वीरें। (All Photos: PTI)
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संजीता ने भारत की स्वाति सिंह का ही ग्लास्गो में बनाया 83 किलो का स्रैच का रिकॉर्ड तोड़ा। उन्होंने पिछले साल राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में 195 किलो वजन उठाकर स्वर्ण पदक जीता था।
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मणिपुर की राजधानी इम्फाल में मौजूद संजीता चानू के माता-पिता ने कहा कि वह बचपन से ही खेलों की दीवानी रहीं हैं।
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संजीता की माता के. तेकोन लियमा ने कहा, "गरीब परिवार से होने के कारण संजीता के खान-पान का ध्यान रखना हमारे लिए बहुत मुश्किल था।"
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उन्होंने कहा कि संजीता ने समय-समय पर पूछा कि क्या वह खेल में करियर बनाने का सपना छोड़ दे लेकिन मैंने उसे हमेशा वह करने के लिए प्रोत्साहित किया जिसमें उसकी रुचि हो।
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संजीता ने 2006 में इस खेल को चुना और वह एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनीं लेकिन मणिपुर सरकार ने उन्हें महज पुलिस कांस्टेबल की नौकरी दी।
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इस कदम से चानू के परिवार के मान-सम्मान को ठेस पहुंचा। संजीता अभी रेलवे में नौकरी कर रही हैं।
चानू के परिवार ने कहा, "हम चाहते हैं कि मणिपुर सरकार उसे अच्छी नौकरी दे क्योंकि उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का मान बढ़ाया है।" -
संजीता का यह स्वर्ण पदक 21वें राष्ट्रमंडल खेल में भारत का दूसरा स्वर्ण पदक है। संजीता के पदक ने मणिपुर के भारोत्तोलकों की विरासत को आगे बढ़ाया है।
