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क्रिकेट जगत को सचिन तेंदुलकर जैसा खिलाड़ी देने वाले मशहूर कोच रमाकांत आचरेकर का बुधवार को 87 साल की उम्र में निधन हो गया। आचरेकर ने अपने कैरियर में सिर्फ एक प्रथम श्रेणी मैच खेला लेकिन उन्हें सर डॉन ब्रेडमैन के बाद दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेटर तेंदुलकर को तलाशने और तराशने का श्रेय जाता है। क्रिकेट को अलविदा कह चुके तेंदुलकर के नाम बल्लेबाजी के लगभग सारे रिकार्ड हैं। उन्होंने टेस्ट में सर्वाधिक 15921 और वनडे में सबसे ज्यादा 18426 रन बनाये हैं। आचरेकर उनके बचपन के कोच थे और तेंदुलकर ने अपने कैरियर में उनकी भूमिका का हमेशा उल्लेख किया है। तेंदुलकर को आचरेकर मुंबई के शिवाजी पार्क में क्रिकेट सिखाते थे। तेंदुलकर ने पिछले साल एक कार्यक्रम में अपने कैरियर में आचरेकर के योगदान के बारे में कहा था,‘‘सर मुझे कभी ‘वेल प्लेड’ नहीं कहते थे लेकिन मुझे पता चल जाता था जब मैं मैदान पर अच्छा खेलता था तो सर मुझे भेलपुरी या पानीपुरी खिलाते थे।'' आचरेकर ने देश को न सिर्फ तेंदुलकर जैसा खिलाड़ी दिया बल्कि उन्होंने विनोद कांबली, प्रवीण आम्रे, समीर दिघे और बलविंदर सिंह संधू जैसे महान कोच को भी तराशा। (All Pic-(Express archive photo/ sachin tendulkar & BCCI twitter)
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सचिन के क्रिकेट टैलेंट की परख उनके बड़े भाई अजीत को भी थी और वह जानते थे कि सचिन क्रिकेट में काफी आगे बढ़ सकते हैं। सचिन महज 11 साल के थे तब उनके बड़े भाई अजीत ने उन्हें कोच रमाकांत अचरेकर से मिलवाया था। उस दौरान सचिन बांद्रा के इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ते थे। आचरेकर ने सचिन को बांद्रा के इंग्लिश मीडियम से दादर के शारदाश्रम विद्यामंदिर में एडमिशन लेने की सलाह दी, जिसमें वह इंग्लिश और मराठी मीडियम टीमों को भी कोचिंग दिया करते थे। बस सचिन ने आचरेकर की बात मानी और शारदाश्रम में शिफ्ट हो गए। जहां पर सचिन ने पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट प्रैक्टिस जारी रखी। आचरेकर के इस फैसले से सचिन की जिंदगी बदल गई और उनके क्रिकेट में निखार आता गया। आगे जाकर यही सचिन क्रिकेट के भगवान कहे जाने लगे।
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सचिन ने ट्विटर पर अपने गुरू की तस्वीर पोस्टर कर एक फीचर इमेज को भी शेयर किया, जिसमें उन्होंने लिखा,‘‘मेरी जिंदगी में उनके योगदान को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने वह नींव बनाई जिस पर मैं खड़ा हूं।’’ आचरेकर ने खुद एक ही प्रथम श्रेणी मैच खेला लेकिन तेंदुलकर के कैरियर को संवारने में उनका बड़ा योगदान रहा। वह अपने स्कूटर से उसे स्टेडियम लेकर जाते थे। तेंदुलकर ने कहा,‘‘पिछले महीने मैं सर से उनके कुछ छात्रों के साथ मिला और हमने कुछ समय साथ बिताया। हमने पुराने दौर को याद करके काफी ठहाके लगाये।’’ उन्होंने लिखा,‘‘आचरेकर सर ने हमें सीधा खेलने और जीने का महत्व बताया। हमें अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाने और अपने अनुभव को हमारे साथ बांटने के लिये धन्यवाद सर। उन्होंने आगे लिखा,‘‘ वेल प्लेड सर। आप जहां भी हैं, वहां और सिखाते रहें।’’
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तस्वीर में आप आचरेकर के साथ सचिन तेंदुलकर और उनकी पत्नी अंजलि तेंदुलकर को देख रहे हैं।
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आचरेकर ने सचिन की तरह महान खिलाड़ी रहे विनोद कांबली की प्रतिभा को भी निखारने में अपना बखूबी योगदान दिया।
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सचिन के बाद आचरेकर के करीब अगर कोई खिलाड़ी रहा तो वह विनोद कांबली हैं।
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मुंबई के शिवाजी पार्क में आचरेकर की क्रिकेट अकेदमी है, जहां से देश को तमाम खिलाड़ी मिले हैं, इनमें से महान खिलाड़ी रहे प्रवीण आमरे का नाम भी शामिल है। अजीत अगरकर और रमेश पवार भी इसी अकादमी से निकले खिलाड़ी हैं।
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आचरेकर को 2010 में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा पद्मश्री से नवाजा गया था।
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1990 में आचरेकर को द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
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क्रिकेट में अपने योगदान को लेकर उन्हें तमाम मौकों पर सम्मानित किया जा चुका था।
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तस्वीर में आचेकर टीम इंडिया के युवा खिलाड़ी बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे को प्राइज दे रहे हैं।
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आचरेकर के क्रिकेट अकादमी में तमाम महिला बल्लेबाज भी ट्रेनिंग लेती हैं।
खेल में आचरेकर का योगदान अतुलनीय है। आचरेकर ने किताबी ज्ञान बांटने की बजाय अपने शिष्यों के कुदरती हुनर के जरिए निखारने में विश्वास रखते थे। उन्हें जिसके अंदर प्रतिभा दिखती थी वह उसे निखारने में पूरा योगदान देते थे।
