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दीपा कर्मकार ने रविवार को रियो ओलंपिक के वॉल्ट के फाइनल में प्रवेश कर एक इतिहास रचा दिया। दीपा पहली भारतीय महिला एथलीट हैं, जिन्होंने 52 सालों के बाद ओलंपिक खेलों की जिम्नास्टिक स्पर्धा में फाइनल में एंट्री मारी है। दीपा अभी ओलंपिक गांव में हैं और उनसे केवल चार लोगों को बातचीत करने की अनुमति है। ओलंपिक गांव में दीपा 14 अगस्त को होने वाले कम्पीटीशन की तैयारी कर रही हैं। 22 वर्षीय दीपा का आज (9 अगस्त) जन्मदिन है। दीपा को जन्मदिन पर देशभर के लाखों लोग बधाई देना चाहते हैं। लेकिन उन्हें केवल चार लोग ही बधाई दे पाएंगे। (Photo Source: AP)
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दीपा को ज्यादा लोगों से बातचीत करने की अनुमति नहीं दी गई है, ताकि वे अपनी तैयारी पर फोकस कर सकें। बिशवेश्वर नंदी उनके कोच है। नंदी भी उन चार लोगों में हैं जो हमेशा उनके दीपा के आसपास रहते हैं। नंदी ने बताया स्पोर्ट्स वेबसाइट स्पोर्ट्सकीडा.कॉम को बताया, 'मैंने उनके मोबाइल फोन से सिम कार्ड निकाल दिया है। केवल उनके पेरेंट्स को उनसे बातचीत करने की अनुमति है। मैं नहीं चाहता कि उनका फोकस खेल से हटे।' दीपा के पेरेंट्स भी उस वक्त बात कर सकते हैं, जब नंदी उन्हें कुछ समय का ब्रेक देते हैं। (Photo Source: AP)
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दीपा का जन्म 9 अगस्त 1993 में त्रिपुरा में हुआ था। छह साल की उम्र से दीपा जिम्नास्टिक की प्रेक्टिस कर रही हैं। दीपा ने जिम्नास्टिक के लिए अंग्रेजी को त्याग दिया था। दीपा के पिता दुलाल कर्माकर के मुताबिक वे दीपा के बचपन में वे इस बात को लेकर परेशान थे कि दीपा को बंगाली मीडियम स्कूल में पढ़ाएं या फिर अंग्रेजी स्कूली में। उनकी इस दुविधा को भी दीपा ने ही दूर किया था। दीपा ने पिता से कहा था कि अंग्रेजी स्कूल में जाऊंगी तो जिम्नास्टिक की प्रेक्टिस नहीं कर पाऊंगी। उस समय दीपा की उम्र महज सात साल की थी। इस वजह यह थी कि बांग्ला स्कूल जिम्नास्टिक्स हॉल का उपयोग करने की इजाजत देती थी। दुलाल कर्माकर बताते हैं कि,’हम परेशान थे कि हम उसे अंग्रेजी से दूर रखकर सही कर रहें है या नहीं। लेकिन वह जिद पर अड़ी रही।’ उनके पिता के अनुसार अंग्रेजी सीखने का मोह छोड़कर दीपा ने सबसे बड़ा त्याग किया। (Photo Source: AP)
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दीपा के पिता ने बताया,’ वह अभी राजनीतिक विज्ञान में मास्टर्स कर रही है।’ दीपा मूलत: त्रिपुरा की रहने वाली है। शुरुआत के दिनों में दीपा जिम्नास्ट को लेकर अनमनी थी। वह एक ही स्टेप बार-बार करके खुश नहीं थी लेकिन उसने खेल को नहीं छोड़ा। (Photo Source: PTI)
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दीपा के पिता भारतीय खेल प्राधिकरण में वेटलिफ्टिंग के कोच हैं। वे कहते हैं’वह जिद्दी थी। अगर उसने ठान लिया कि कुछ पाना है तो उसे पाए बगैर वह बैठेगी नहीं। पहले नेशनल चैंपियनशिप, फिर इंडिया टीम, फिर कॉमनवेल्थ गेम्स और अब ओलंपिक।’ ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने के बाद दीपा ने घर पर मैसेज भेजा,’ हम क्वालिफाई हो गया।’ (Photo Source: AP)
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ओलंपिक क्वालिफिकेशन के लिए दीपा ने अक्टूबर और अप्रैल में हुए नेशनल चैंपियनशिप्स को भी छोड़ दिया। 2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक न जीत पाने के बाद दीपा कई दिनों तक रोती रही थी। 2014 में पदक जीतकर उसने पिछली बार की गलती की भरपाई की। (Photo Source: PTI)
देश को स्वंतत्रता मिलने के बाद 11 भारतीय पुरुष जिमनास्ट ने ओलंपिक में शिरकत की थी, जिसमें से दो ने 1952, तीन ने 1956 और छह ने 1964 में भाग लिया था। लेकिन वह ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट हैं। (Photo Source: PTI)
