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भारत के 16 वर्षीय निशानेबाज सौरभ चौधरी एशियाई खेलों में पदार्पण करने के साथ ही मंगलवार को पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल निशानेबाजी स्पर्धा का स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इंडोनेशिया में जारी 18वें एशियाई खेलों की इस स्पर्धा में अभिषेक वर्मा की बदौलत भारत को कांस्य पदक भी हासिल हुआ। सौरभ ने भारत के लिए तीसरे दिन स्वर्ण पदक से अच्छी शुरुआत की। विनेश, बजरंगी पूनिया के बाद अब सौरभ ने देश को तीसरा गोल्ड मेडल दिलाया है। एशियाई खेलों में इस स्पर्धा का रिकॉर्ड तोड़ते हुए कुल 240.7 अंक हासिल किए और सोना जीता। अभिषेक ने फाइनल में शीर्ष-3 में जगह बनाई और अंत में कुल 219.3 अंकों के साथ तीसरा स्थान हासिल कर कांस्य पदक जीता। (All Photos- Retures/ANi)
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फाइनल में पहले पांच निशानों में अच्छा प्रदर्शन करते हुए सौरभ दूसरे और अभिषेक वर्मा चौथे स्थान पर थे। इसके बाद दोनों ने अपनी लय बरकरार रखते हुए शीर्ष-3 खिलाड़ियों में जगह बनाई। यहां एक गलत निशाने के कारण अभिषेक स्वर्ण पदक से चूक गए और उन्हें कांस्य से संतोष करना पड़ा।
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साल 2015 में निशानेबाजी में कदम रखने वाले सौरभ ने अपने दोनों निशाने जापान के तोमोयुकी मात्सुदा से बेहतर लगाते हुए सोना जीता। तोमोयुकी को रजत पदक हासिल हुआ। इससे पहले, क्वालिफिकेशन में सौरभ ने सौरभ ने 586 अंकों के साथ पहला स्थान हासिल किया था, वहीं अभिषेक 580 अंकों के साथ छठे स्थान पर थे।
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आपको बता दें कि इससे पहले सौरभ ने जूनियर वर्ल्ड कप में तीन गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके हैं। ओलंपिक के बाद सौरभ के लिए सबसे मुश्किल खेल एशियन गेम्स था और वह वहां भी अपने नाम का परचम लहरा चुके हैं।
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सौरभ उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले हैं। उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीतने पर बधाई दी और साथ ही 50 लाख रुपए इनाम में देने की घोषणा की है। सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान किया है कि सौरभ को राज्य सरकार में राजपत्रित अधिकारी का पद दिया जाएगा। सौरभ मेरठ के अलीना गांव के निवासी हैं। उन्होंने 2015 से शूटिंग शुरु की थी, जिसके बाद से उन्होंने सोच लिया था कि वह एक दिन देश के लिए कुछ करेंगे।
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सौरभ के घर पर जश्न का माहौल है। उनके परिवार वाले काफी खुश हैं और अपने बेटे के लिए गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। सौरभ एक किसान परिवार से आते हैं।
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सौरभ की मां का कहना है कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है कि उसने देश का नाम रोशन किया। पिता ने कहा कि सौरभ में पढ़ाई में कमजोर हैं लेकिन निशानेबाजी के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं। पिता ने बताया कि सौरभ को अपने कोच की अंग्रेजी समझ नहीं आती थी लेकिन उन्हें ये पता होता है कि निशाना कहां लगाना है। फिलहाल सौरभ 10वीं क्लास में हैं।
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बचपन में वह गांव के मेलों के गुब्बारों को अपना निशाना बनाते थे।