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भरतीय धावक मंजीत सिंह और जिनसन जॉनसन ने यहां जारी 18वें एशियाई खेलों के 11वें दिन क्वालीफिकेशन दौर में शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में प्रवेश कर लिया। मंजीत सिंह ने बुधवार को हीट-1 में तीन मिनट 50.59 सेकेंड का समय निकाला जबकि जिनसन ने तीन मिनट 46.50 सेकेंड में रेस पूरी करते हुए फाइनल में जगह बनाई। इससे पहले मंगलवार को उन्होंने 800 मीटर की दौड़ में दिलाया था। देश को 9वां गल्ड मेडल दिलाने वाले मंजीत सिंह के गोल्डन बॉय बनने के पीछे उनकी कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास है जिसकी बदौलत वह आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं। कल तक मंजीत गुमनामी के अंधेरे में थे और अब उन्हें पूरी दुनिया जान गई है। देश का गौरव बढ़ाने वाले मंजीत सिंह हरियाणा के नरवाना टाउन के नजदीक उझाना गांव के रहने वाले हैं। यहां तक आने के लिए मंजीत ने बहुत बलिदान दिया है। वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका पूरा परिवार भी नरवाना में ही रहता है। (All Photos-PTI)
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मंजीत सिंह ने 18वें एशियन गेम्स में पुरुषों की 800 मीटर की रेस में भारत के लिए गोल्ड जीता है। मंगलवार को मंजीत ने इस रेस में स्वर्णिम इतिहास रचने के लिए 1:46:15 सेकेंड का वक्त निकाला, ताकि वह अपने नाम एक नया रिकॉर्ड हासिल कर सकें। एथलेटिक्स के इस इवेंट में भारत ने आखिरी बार एशियाई खेलों में सोना 1982 में जीता था।
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मंजीत का गोल्डन बॉय बनना हमारे देश के युवाओं को एक प्रेरणा देना है।
शादीशुदा मंजीत ने एशियन गेम्स में गोल्डन बॉय बनने के लिए अब तक अपने बेटे का तक चेहरा नहीं देखा। उनके बेटे का जन्म 6 मार्च को हुआ था लेकिन अपने लक्ष्य को हासिल करने के चलते उन्होंने बेटे को कभी सामने से नहीं देखा। -
मंजीत के जीवन में एक दौर ऐसी आया जब उन्होंने 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों में दौड़ने के चलते अपनी ओएनजीसी में अपनी नौकरी गवा दी थी।
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इसके बाद आर्मी कोच अमरीष कुमार उन्हें अपने करिअर पर फोकस करने को लेकर काफी गाइड किया। इसके बाद मंजीत ने ठान लिया कि कुछ भी हो उन्हें एशियन गेम्स में कुछ कर दिखाना है।
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मंजीत के पिता रणधीर सिंह ने बताया कि मंजीत ने कई माह भूटान में प्रैक्टिस की है।
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इसके बाद उनका राष्ट्रीय कैंप में चयन हुआ और फिर वह घर वापस नहीं आए। क्योंकि मंजीत का आगे का लक्ष्य गोल्ड लाना था।
