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World Cup Cricket History: #worldcup2011क्रिकेट की दुनिया में 2 अप्रैल का दिन हमेशा इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। क्योंकि यही वो दिन था जब कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई में भारतीय क्रिकेट टीम ने दूसरी बार वर्ल्ड कप जीता था। साल 2011 में 2 अप्रैल को ही आईसीसी वर्ल्ड कप फाइनल में धोनी का मिडविकेट की तरफ में वो आखिरी छक्का से भारत 28 साल बाद वर्ल्ड चैंपियन बना था। यह दिन क्रिकेट में तमाम उपलब्धियां रखता है। यही वो दिन है जब तेंदुलकर का सपना सच हुआ था। यहां हम आपको इंडियन क्रिकेट टीम के लिए क्यों खास है 2 अप्रैल का दिन। (All Photos- Instagram)
2011 में धोनी की कैप्टेंसी में भारत ने 1983 में विश्व कप की शानदार जीत को दोहराते हुए दूसरी बार विश्व कप जीता। इस दिन देश के हर शहर में पटाखों की गूंजी थी। 2 अप्रैल के दिन ही 1989 में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करने वाले सचिन तेंदुलकर का सपना सच हुआ था। वह साल 2007 के वर्ल्ड कप का भी हिस्सा थे लेकिन अफसोस उस वक्त भारत को हार हाथ लगी थी। उनका सपना था कि वह वर्ल्ड की विनर टीम का हिस्सा रहें। ऐसे में सचिन का सबसे बड़ा सपना और लंबा खिंच गया। 2011 में टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप जीता, जिसका हिस्सा सचिन थे। -
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में सचिन तेंदुलकर की आंखों में आंसू थे और टीम के खिलाड़ी उनको कंधों पर उठाए घूम रहे थे, जो कि अपने आप में एक ऐतहासिक लम्हा था, क्योंकि छठा विश्व कप खेलने के बाद सचिन के हाथ में वर्ल्ड कप की ट्रॉफी थी।
साल 2011 का यह वो दिन था जब देश में दिवाली जैसा जश्न मनाया गया है। क्योंकि इसी दिन कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने हेलिकॉप्टर सिक्स लगाकर भारतीय टीम को विश्व विजेता बनाया था। उस दौरान भारत और श्रीलंकाई टीम के बीच मैच खेला गया था। -
1983 के बाद आज के दिन ही 2011 में टीम इंडिया ने 28 साल के सूखे को मिटाया था। क्योंकि यही वो दिन था जब इंडियन क्रिकेट टीम ने अपनी जमीं पर पहली बार जीत हासिल की थी। इस टीम में गौतम गंभीर और जहीर खान ने अहम भूमिका निभाई थी। गंभीर ने 97 रन की पारी खेली थी।
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वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 274 रन बनाए। इसमें महेला जयवर्धने के 103 रन शामिल थे। जवाब में भारतीय टीम की शुरुआत खराब रही। इस विजेता टीम का हिस्सा, हरभजन सिंह, युवराज सिंह, सुरैश रैना, विराट कोहली, श्रीसंत, सहवाग भी थे।
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धोनी के लिए यह साल बेहद अहम था।
