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2016 में इन 16 सवालों के जवाब दिए तो बिहार जैसी हार से बच सकते हैं मोदी

By: जनसत्ता ऑनलाइन
December 30, 2015 09:25 IST
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    साल 2015 खत्‍म होने को है, जहां तक मोदी सरकार की बात है तो उसके लिए 2015 काफी उथल-पुथल वाला रहा। असहिष्‍णुता पर बहस से लेकर दाल की कीमतों तक मोदी सरकार के लिए कई चुनौतियां इस साल सामने आईं, जिनके जवाब उसके पास नहीं थे। रही-सही कसर बीजेपी नेताओं के बेतुके बयानों ने पूरी कर दी। इसका परिणाम यह निकला 2014 लोकसभा चुनाव के बाद चला रहा आ रहा बीजेपी का विजय रथ बिहार चुनाव में जाकर थम गया। नीतीश कुमार और लालू यादव ने मोदी-शाह की जोड़ी पहली बार इतनी बुरी हार से रू-ब-रू कराया। बिहार में मिली हार के बाद ये जोड़ी नए सिरे से बिगड़ी बात को संवारने में जुटी है, लेकिन राह आसान नहीं है। अगले साल तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, असम और पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव हैं। दूसरी ओर सरकार के सामने कई चुनौतियां अब भी खड़ी हैं, जिनके जवाब उसे जनता को देने हैं। हमने ऐसे 16 मुद्दों की लिस्‍ट तैयार की है, जो अगले साल मोदी सरकार के लिए कड़ी चुनौती साबित होंगे। हां, अगर पीएम मोदी इन 16 सवालों के जवाब देने में कामयाब रहे, तो फिर उन्‍हें आने वाले पांच राज्‍यों में बिहार जैसी हार का मुंह नहीं देखना पड़ेगा। आगे की स्‍लाइड में देखिए नए साल में क्‍या हैं मोदी सरकार की चुनौतियां?

  • दील की कीमतें 2015 में दाल की कीमतों को लेकर खूब बवाल मचा। खासतौर पर अरहर की दाल 200 रुपए किलो से भी ज्‍यादा कीमत पर बिकी। दिसंबर महीने में भी दाल की कीमतों में गिरावट नहीं आई और अरहर की दाल का रेट 150 रुपए किलो के आसपास रहा। यह मुद्दा कितना अहम इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि संसद के शीतकालीन सत्र में करीब 59 सांसदों ने पूछे सवाल पूछे। संसद में पासवान ने माना कि पिछले एक साल में खुदरा बाजार में अरहर दाल की कीमत में 99 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान उड़द दाल की कीमत में करीब 87 फीसदी, चना दाल की कीमत में 53 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है। ऐसे में मोदी सरकार के सामने 2016 में दाल की कीमतों को नियंत्रण में रखना कड़ी चुनौती होगी। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने मंत्रियों से इस बारे में रिपोर्ट मांगी है, अब देखना होगा कि 2016 में मोदी सरकार की मुहिम रंग लाती है या फिर 2015 की तरह वह इस चुनौती से पार पाने में नाकाम रहती है। आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, गंगा की सफाई क्‍यों है बड़ी चुनौती
  • गंगा की सफाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव के लिए जब वाराणसी से नामांकन दाखिल किया था, तब उन्‍होंने कहा था, 'मुझे मां गंगा ने बुलाया है।' उन्‍होंने सरकार में आने के बाद गंगा सफाई के लिए नमामि गंगे योजना की शुरुआत की। नया मंत्रालय बनाया, जिसकी कमान उमा भारत को सौंपी गई, लेकिन डेढ़ साल बीतने के बाद भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। उमा भारत से जब भी इस बारे में सवाल पूछे गए तो उन्‍होंने कहा कि गंगा सफाई अभियान की शुरुआत 2016 से होगी। यह मुद्दा मोदी सरकार के लिए बेहद अहम है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर केंद्र सरकार को फटकार लगा चुका है। हालांकि, मोदी सरकार ने इसके लिए एक खाका पेश किया है। सॉलीलिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि सरकार की गंगा नदी के किनारे बसे 30 शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना है, ताकि गंदे पानी को नदी में जाने से रोका जा सके। इस समय 24 प्लांट काम कर रहे हैं, जबकि 31 का निर्माण किया किया जा रहा है। अब देखना होगा कि उमा भारती 2016 में इस मुद्दे पर जमीन पर क्‍या करके दिखाती हैं? आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, क्‍या 2016 में भी होगी असहिष्‍णुता पर बहस
  • क्‍या जारी रहेगी असहिष्‍णुता पर बहस? मुनव्‍वर राणा से लेकर शाहरुख खान तक और आमिर से लेकर शबाना आजमी तक साल 2015 में असहिष्‍णुता पर जोरदार बहस हुई। कांग्रेस ने इस बहस को जमकर हवा दी। कई साहित्‍याकारों ने अपने अवॉर्ड लौटा दिए तो कुछ ने अवॉर्ड वापसी को नौटंकी करार दिया। अनुपम खेर ने तो अवॉर्ड वापसी के विरोध में नई दिल्‍ली में मार्च तक निकाला, लेकिन इससे भी कोई असर नहीं पड़ा और भारत में असहिष्‍णुता के मुद्दे की धमक लंदन से लेकर इस्‍लामाबाद, वॉशिंगटन तक हुई। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से यह बहस कुछ थर्मी हुई, लेकिन 2016 में यह देखना रोचक होगा कि मोदी सरकार असहिष्‍णुता पर बहस को रोक पाती है या नहीं? आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, स्किल डिवेलपमेंट, मेक इन इंडिया, स्‍टार्ट अप इंडिया पर क्‍या चाहती है जनता
  • स्किल डिवेलपमेंट, मेक इन इंडिया, स्‍टार्ट अप इंडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में लल किले की प्राचीर से 'मेक इन इंडिया' की घोषणा की। इसके अलावा स्किल डिवेलपमेंट और हाल-फिलहाल में स्‍टार्ट-अप इंडिया की शुरुआत भी की है। हालांकि, इनमें किसी भी योजना के बारे में अभी तक किसी भी सरकारी एजेंसी ने कोई ठोस जानकारी पेश नहीं की है, जिस प्रकार से जन-धन योजना के बारे में खुद पीएम ने बार-बार आंकड़े बताकर जिक्र किया, उस प्रकार से इन योजनाओं के बारे में देखने को नहीं मिला। एफडीआई के बारे में भी पीएम मोदी ने कई बार आंकड़ों का सहारा लिया, लेकिन स्किल डिवेलपमेंट, मेक इन इंडिया, स्‍टार्ट अप इंडिया के बारे में आंकड़े मोदी सरकार 2015 में तो पेश नहीं कर पाई, अब देखना होगा कि क्‍या 2016 में हमें इस संबंध में कोई जानकारी मिल पाती है या नहीं? आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, पॉर्न, बीफ बैन के बाद नए साल में क्‍या?
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  • स्‍वच्‍छ भारत और प्रदूषण लाल किले की प्राचीर से जब पीएम नरेंद्र मोदी ने स्‍वच्‍छ भारत अभियान की बात की थी, तब शायद ही किसी ने सोचा था कि सरकार इससे जुड़े टैक्‍स भी लेकर आएगी। केंद्रीय वित्‍त राज्‍य मंत्री जयंत सिन्‍हा की ओर से राज्‍यसभा को दी गई जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने 15 नवंबर से 16 दिसंबर 2015 तक करीब 329 करोड़ रुपए की कमाई कर ली। मोदी सरकार ने टैक्‍सेबल सर्विसेज पर स्‍वच्‍छ भारत सेस का एलान नवंबर में ही किया था। कमाई के इस आंकड़े से इतर देखें तो स्‍वच्‍छ भारत को लेकर सेलेब्रिटीज काफी जागरूक दिखे, लेकिन कई नेता 'प्रायोजित' सफाई अभियान में शिरकत पकड़े भी गए। बहरहाल, इतनी बहस और विवाद के बाद स्‍वच्‍छ भारत अभियान के परिणाम 2015 में संतोषजनक नहीं रहे। लेकिन इस ऐसा मुद्दा है, जिसे न तो विपक्ष छोड़ रहा है और न ही मीडिया। वह बार-बार इस अभियान को लेकर पीएम मोदी से सवाल पूछ रहा है। देखना होगा कि इन सवालों का जवाब अगले साल मिल पाता है या नहीं। स्‍वच्‍छ भारत अभियान के साथ ही देशभर में बढ़ता प्रदूषण का स्‍तर भी मोदी सरकार के लिए अगले साल बड़ी चुनौती रहेगा। आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, बिहार की हार से भूलकर आगे बढ़ पाएगी बीजेपी
  • बिहार की हार से भूलकर आगे बढ़ पाएगी बीजेपी बिहार चुनाव में बीजेपी की हार से पीएम नरेंद्र मोदी की छवि को काफी नुकसान पहुंचा। इसकी गूंज पाकिस्‍तान तक गई। अमित शाह पर विरोधियों से ज्‍यादा खुद उनकी पार्टी के नेताओं ने चुटकी ली। लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी के पास अगले साल अपना चुनावी कौशल दर्शाने के लिए कई मौके आएंगे। 2016 में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के अलावा असम, केरल में चुनाव होने हैं। इसके अलावा 2017 में यूपी और पंजाब में होने वाले चुनावों की तैयारी भी पार्टी को करनी है। देखना होगा कि नए साल में मोदी-शाह चुनावी चुनौती से कैसेट पार पाते हैं। आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, महिला सुरक्षा पर सवाल
  • महिलाओं के लिए सुरक्षित समझे जाने वाले शहर मुंबई में इस साल रेप के मामले तीन गुना बढ़ गए। बीते दिनों लोकल ट्रेन में एक बुजुर्ग महिला से रेप की कोशिश की गई। दिल्‍ली, कोलकाता, जसपुर समेत सभी राजधानियों और राज्‍यों में बलात्‍कार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 2015 में निर्भया गैंगरेप केस का नाबालिग रिहा हो गया, जिसके खिलाफ निर्भया के माता-पिता सड़कों पर उतरे, लेकिन उन्‍हें न्‍याय नहीं मिला। देश में महिलाओं सुरक्षा का मुद्दा हर बीतते दिन के साथ गंभीर होता जा रहा है। जेएनयू जैसे संस्‍थानों में यौन उत्‍पीड़न के मामलों में अप्रत्‍याशित बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में 2016 में भी मोदी सरकार के लिए महिला सुरक्षा का मुद्दा बेहद कड़ी चुनौती साबित होगा। आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, कैसे रहेंगे पाकिस्‍तान से रिश्‍ते
  • 25 दिसंबर को पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के जन्‍मदिन पर अचानक लाहौर पहुंचने के बाद नरेंद्र मोदी ने ठंडे बस्‍ते में पड़े इस्‍लामाबाद-नई दिल्‍ली बातचीत के मुद्दे को हवा दे दी। 11 साल बाद भारत के किसी पीएम ने पाकिस्‍तान की धरती पर कदम रखा। मोदी सरकार ने पाकिस्‍तान के साथ संबंधों को लेकर नई तरह डिप्‍लोमेसी अपनाई है, जिसे विशेषज्ञ अभी तक अच्‍छा बता रहे हैं। हालांकि, विपक्ष मोदी पर हमलावर है। लेकिन मुसीबत यह है कि अगर पाकिस्‍तान के साथ बातचीत के इस दौरा के बीच देश में आतंकी हमला हो गया तो मोदी सरकार का रुख क्‍या होगा? फिर नरेंद्र मोदी अपनी पाकिस्‍तान यात्रा के लिए क्‍या तर्क देंगे। विपक्ष ऐसे सवाल पूछने के लिए तैयार बैठा हुआ है, अब देखना भारत-पाकिस्‍तान के रिश्‍ते कैसे आगे बढ़ते हैं और लगातार रंग बदलते पाकिस्‍तान से नरेंद्र मोदी किस प्रकार से निपटते हैं। आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, बेतुके बयानों से निपटने की चुनौती
  • साक्षी महाराज, साध्‍वी प्राची, योगी आदित्‍यनाथ, कैलाश विजयवर्गीय, वीके सिंह ये कुछ ऐसे बीजेपी नेता हैं, जिन्‍होंने 2015 में बैठे-बिठाए विवाद मोल लिए। कभी गौमांस को लेकर तो कभी असहिष्‍णुता के मुद्दे पर आमिर खान और शाहरुख खान के खिलाफ बयानबाजी। बिहार चुनाव में भी बीजेपी नेताओं ने ऐसे कई बयान दिए, लेकिन पार्टी इन पर लगाम लगाने में नाकाम रही। इसका नतीजा यह निकला कि ब्रिटिश अखबार 'द गार्डियन' में भारतीय मूल के एक लेखक ने मोदी सरकार को हिंदू तालिबान तक कह दिया। मूडीज ने चेतावनी दी कि अगर इन नेताओं पर लगाम नहीं लगाई गई तो अर्थव्‍यवस्‍था पटरी से उतर जाएगी, क्‍योंकि राज्‍यसभा में मोदी सरकार बिल पास नहीं करा सकेगी। खुद पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने कई बार दावा किया कि उन्‍होंने ऐसे बयानों पर लगाम लगाने के लिए उचित कदम उठाए हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। देखना होगा कि 2016 में वह इसमें सफल रह पाते हैं या नहीं। आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, दिल्‍ली सरकर बनाम केंद्र सरकार
  • दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद से मोदी सरकार बनाम अरविंद केजरीवाल की जंग चल रही है। इस झगड़े में कई बार एमसीडी के कर्मचारी फंस गए। नौबत यहां तक आ गई कि दिवाली पर सेलरी तक के लाले पड़ गए। नाराज कर्मचारियों ने दिल्‍ली को कूड़े के ढेर में तब्‍दील कर दिया। कुछ दिनों पहले केजरीवाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजेंद्र कुमार के दफ्तर में सीबीआई के छापे को लेकर भी टकराव हुआ। फिर डीडीसीए में कथित घोटाले को लेकर केजरीवाल के निशाने पर अरुण जेटली आ गए। सीबीआई छापे के बाद तो केजरीवाल ने पीएम मोदी को मा‍नसिक रोगी तक कह डाला था। जवाब में मोदी सरकार के मंत्रियों को बीजेपी और संघ से दिल्‍ली सरकार के नेताओं को मुलाकात का समय न देने का संदेश भेजा गया। टकराव अब भी जारी है, देखना होगा कि क्‍या अगले साल केंद्र और दिल्‍ली सरकार के बीच चल रही तनातनी कम होती या और बढ़ती है? आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, भ्रष्‍टाचार और काले धन पर क्‍या करेगी सरकार
  • नरेंद्र मोदी ने पीएम बनने के बाद कहा, 'न खाऊंगा, न खाने दूंगा' और काले धन को लेकर लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान 15-15 लाख हर देशवासी के अकाउंट में आने की बात पर पूरे साल खूब बहस हुई। मोदी सरकार ने कई फैसले लिए जो सराहनीय रहे, लेकिन काले धन और भ्रष्‍टाचार विरोध मुहिम के मामले में विपक्ष संतुष्‍ट नहीं है। हालांकि, अरुण जेटली ने कड़ा कानून लाकर उसे अपनी उपलब्धि बताया है, लेकिन काले धान के आंकड़े को लेकर बहस चल रही है। सवाल यह है कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान हजारों करोड़ का जो फिगर बताया जा रहा था, उसका क्‍या हुआ? यह मुद्दा 2016 में भी उठेगा, देखते मोदी सरकार इस पर करती है? आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, कॉल ड्रॉप रोक सकेंगे रवि शंकर प्रसाद
  • 125 करोड़ लोगों के देश में 100 करोड़ सिम कार्ड हैं। 70 करोड़ मोबाइल फ़ोन हैं, जिनमें से 25 करोड़ स्मार्टफ़ोन हैं। मोबाइल फोन तो हर हाथ पहुंच गया है, लेकिन तब भी कंज्यूमर एक कॉल पूरी करने के लिए तरस रहा है। देशभर से जब लोगों की ऐसी शिकायतें संचार मंत्रालय पहुंचीं, तो मंत्रालय और उसके सिपहसलारों पर तलवार लटक गई। सूत्रों के अनुसार एक बार तो खुद नरेंद्र मोदी ने आईटी मिनिट रविशंकर प्रसाद की क्‍लास लगा दी। हालांकि, समस्‍या अब भी जारी है, देखना होगा कि अगले साल स्थिति कैसी रहती है। आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, रेलवे में और क्‍या-क्‍या होगा महंगा
  • अब तत्‍काल टिकट कराना महंगा हो गया है। कन्‍फर्म टिकट कैंसिल करवाना भी 12 नवंबर से महंगा हो चुका है। एसी और स्‍लीपर श्रेणी के किराए में साल की शुरुआत में ही बढ़ोतरी कर दी गई थी। हालांकि, मोदी सरकार ने कुछ सुविधाएं शुरू की हैं, लेकिन पिछले दरवाजे से महंगाई की मार लगातार पड़ रही है। ऐसे में रेल का सफर करने वाले यात्रियों को हर पल आशंका बनी हुई है। देखना होगा कि नए साल में रेल मंत्री फिर महंगाई का बोझ जनता पर डालेंगे या फिर कुछ सुविधाएं भी बढ़ाएंगे? आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, चर्चा में रहेंगी पीएम मोदी विदेश यात्राएं?
  • एक आरटीआई के जरिए सामने आई जानकारी के मुताबिक, सितंबर 2015 तक नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा पर 37.22 करोड़ रुपए खर्च हुए। उस वक्‍त तक पीएम मोदी ने 16 देशों के दौरे किए थे। आरटीआई के अनुसार सभी विदेशी दौरों में प्रधानमंत्री मोदी का ऑस्ट्रेलिया दौरा सबसे महंगा रहा। वहां किराए की कारों पर कुल 2.40 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जबकि ऑस्ट्रेलिया में भारतीय दूतावास ने प्रधानमंत्री के ठहरने के लिए 5.60 करोड़ रुपए खर्च किए। ऑस्ट्रेलिया के बाद सबसे महंगे दौरे की श्रेणी में अमेरिका, जर्मनी, फिजी, और चीन का स्थान आता है। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी का सबसे सस्ता दौरा भूटान का रहा। वहां सिर्फ 41.33 लाख रुपए खर्च हुए। मोदी के सितंबर 2014 में अमेरिकी दौरे के दौरान न्यूयॉर्क में उनकी सुरक्षा में लगे एसपीजी (विशेष सुरक्षा दस्ता) के होटल में ठहरने का खर्च 9.16 लाख रुपए आया था। जबकि प्रधानमंत्री, विदेश मंत्रालय और पीएमओ के अधिकारियों के लिए 11.51 लाख रुपए में होटल में कमरे बुक कराए गए थे। कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने तो मोदी सरकार को सूट-बूट की सरकार कहना शुरू कर दिया है। देखना रोचक होगा कि अगले साल मोदी के विदेश दौरे कितनी चर्चा बटोरते हैं। आगे की स्‍लाइड में पढ़ें, क्‍या मिलेगी इन्‍कम टैक्‍स में छूट
  • जीएसटी बिल भंवर फंसा है। मोदी सरकार का दूसरा आम बजट आने वाला है। सरकार बेफिक्र कह रही है कि देश तरक्की कर रहा है। लेकिन जनता टैक्‍स के बोझ से दबी जा रही है। खासतौर पर नौकरीपेशा लोगों को मोदी सरकार से जिस राहत की उम्‍मीद थी, वह पिछले बिल में नहीं मिल पाई। 18 महीनों में मोदी सरकार जनता को कई कड़वी दवा पिला चुकी है। ऐसे में नए साल में लोगों को सरकार से इन्‍कम टैक्‍स में छूट की सीमा बढ़ने, बाकी सभी टैक्‍स हटाकर सिर्फ बैंक ट्रांजेक्‍शन लगाए जाने की उम्‍मीद है। हालांकि, वित्‍त मंत्री अरुण जेटली यह कहकर लोगों को संदेश दे चुके हैं कि लोग टैक्‍स में छूट चाहते हैं, लेकिन हमें अर्थव्‍यवस्‍था भी देखनी पड़ती है।
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