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दिल्ली में यमुना में जलस्तर बढ़ने के कारण कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। आईटीओ के पास पानी भर चुका है। नदी के किनारे की बस्तियों से आगे बढ़कर पानी लाल किला और रिंग रोड तक पहुंच गया है।
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यमुना नदी रविवार से खतरे के निशान 205.33 मीटर से ऊपर बह रही है और धीरे-धीरे इसका लेवल इतना बढ़ गया दिल्ली के कई इलाके जलमग्न हो गए।
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लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहले यमुना नदी लाल किले के सामने बहा करती थी। कहा जा रहा है कि जलस्तर बढ़ने के कारण यमुना ने अपना पुराना रास्ता पकड़ा है।
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हाल ही में सोशल मीडिया पर कुछ पेंटिंग्स खूब वायरल हो रही है जिसमें दिखाया गया है कि सदियों पहले इस क्षेत्र में युमना नदी बहती थी। (Source: @HarshVatsa7/twitter)
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इन पेंटिंग्स की तुलना सोशल मीडिया यूजर्स आज की तस्वीर से कर रहे हैं जहां लाल किले के पास जलभराव देखा जा सकता है। (Source: @psychedelhic/twitter)
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इतिहासकार बताते हैं कि किले में पेड़ों से घिरी एक छोटी नहर बहती थी जिसे नहर-ए-बहिश्त नाम की नदी बहती थी जिसे जन्नत नदीं के नाम से भी जाना जाता था। इस नदी का पानी यमुना नदी से आता था।
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यह नहर लाल किले से होते हुए चांदनी चौक से निकलती थी। इतिहासकारों के अनुसार लाल किले से यमुना नदी का खूबसूरत नजारा दिखता था लेकिन समय के साथ यह नदी सिकुड़ती गई।
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वहीं, लेखक सोहेल हाशमी के अनुसार, 18वीं शताब्दी में मुहम्मद शाह ‘रंगीला’ के समय में ये नदी दूर जाने लगी।
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लेखक ने बताया कि साल 1911 में जब राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया, तो उस स्थान की पहचान करने के लिए क्षेत्र का सर्वे किया गया जहां राजधानी स्थित होगी।
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लेखक के अनुसार, “सर्वे के बाद जो क्षेत्र सुझाया गया था वह कोरोनेशन पार्क क्षेत्र था। मगर उसी साल यानी 1911 में ही मानसून में कोरोनेशन पार्क और किंग्सवे कैंप क्षेत्र का काफी हिस्सा बाढ़ग्रस्त हो गया था।”
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सोहेल हाशमी ने आगे बताया, “इसलिए रायसीना हिल पर राजधानी स्थापित करने का निर्णय लिया गया। 1911 में इस क्षेत्र के, सिविल लाइंस, मॉडल टाउन के कुछ हिस्सों में बाढ़ आ गई थी। जिसकी वजह से इसे बाढ़ क्षेत्र का हिस्सा माना गया।”
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