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अगर आपने कभी अस्पताल का दौरा किया हो, तो आपने नर्सों को ‘सिस्टर’ कहते हुए जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आपने सोचा है कि उन्हें ऐसा क्यों कहा जाता है? जबकि वे आपकी सगी बहन भी होती हैं। (Photo Source: Pexels)
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दरअसल, इसके पीछे एक दिलचस्प इतिहास, गहरी सांस्कृतिक भावना और मानवीय संवेदना जुड़ी है। (Photo Source: Pexels)
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धार्मिक सेवा से शुरू हुआ यह संबोधन
मिडिवल पीरियड में जब अस्पतालों का संचालन धार्मिक संस्थाओं द्वारा किया जाता था, तब मरीजों की देखभाल करने वाली महिलाएं अक्सर नन होती थीं। (Photo Source: Pexels)
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वे किसी धार्मिक संस्था की सदस्य होती थीं और उन्हें ‘सिस्टर’ यानी ‘बहन’ के रूप में पुकारा जाता था। उन्होंने गरीबी, सेवा और मानवता की शपथ ली होती थी। समय के साथ जब नर्सिंग एक प्रोफेशन बना, तब भी इस संबोधन को बनाए रखा गया। (Photo Source: Pexels)
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फ्लोरेंस नाइटिंगेल: आधुनिक नर्सिंग की जननी
फ्लोरेंस नाइटिंगेल, जिन्होंने 19वीं सदी में नर्सिंग को एक रिस्पेक्टेबल और ट्रेंड प्रोफेशन के रूप में स्थापित किया, ने धार्मिक नर्सों से प्रेरणा ली। उन्होंने महिलाओं को प्रशिक्षित कर नर्सिंग को संगठित रूप दिया। हालांकि वे खुद नन नहीं थीं, फिर भी उनके द्वारा ट्रेंड नर्सों को ‘सिस्टर’ कहा जाने लगा। (Photo Source: Pexels) -
फ्लोरेंस नाइटिंगेल से जुड़ी खास बातें
फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई 1820 को इंग्लैंड के एक संपन्न परिवार में हुआ था। लेकिन उन्होंने ऐशोआराम की जिंदगी छोड़कर मानव सेवा को चुना। (Photo Source: Pexels)
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उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई जर्मनी में की और ‘केयर ऑफ द सिक’ संस्था की प्रमुख बनीं। क्राइमियन युद्ध के दौरान घायल सैनिकों की सेवा कर उन्होंने मृत्यु दर को 69 से घटाकर 18 प्रति हजार कर दिया। (Photo Source: Pexels)
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भारत में उनके नाम पर ‘नाइटिंगेल प्लेज’ की शपथ ली जाती है और हर साल श्रेष्ठ नर्सों को ‘नेशनल फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवार्ड’ से सम्मानित किया जाता है। (Photo Source: Pexels)
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मरीजों के लिए राहत और भरोसे का प्रतीक
‘सिस्टर’ शब्द सिर्फ एक पेशेवर संबोधन नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बन गया है। जब कोई मरीज अस्पताल में अकेला और असहाय होता है, तो एक ‘सिस्टर’ की देखभाल उसे परिवार जैसी सुरक्षा और अपनापन देती है। यही कारण है कि यह शब्द लोगों के दिलों में एक खास जगह रखता है। (Photo Source: Pexels)
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