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लाल, नीला, पीला या गुलाबी… आखिर अलग-अलग रंग की क्यों होती हैं दवाइयां? जानिए इनके पीछे छिपा बड़ा राज

Medicine Colors Meaning: क्या आपने कभी गौर किया है कि बाजार में मिलने वाली दवाइयां अलग-अलग रंगों में आती हैं — लाल, नीली, पीली, हरी, या गुलाबी? ये रंग सिर्फ दिखावे या सजावट के लिए नहीं होते, बल्कि इनके पीछे कई वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं।

By: Archana Keshri
October 28, 2025 12:48 IST
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  • What Do Medicine Colors Really Mean
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    क्या आपने कभी गौर किया है कि बाजार में मिलने वाली दवाइयां सिर्फ सफेद नहीं होतीं, बल्कि लाल, नीली, हरी, पीली और यहां तक कि काली भी दिखाई देती हैं? दवाइयों के ये रंग केवल देखने में सुंदर या आकर्षक बनाने के लिए नहीं होते, बल्कि इनके पीछे कई वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं। आइए जानते हैं दवाइयों के अलग-अलग रंगों का असली मतलब क्या है—
    (Photo Source: Unsplash)

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    पहचान में आसानी
    एक साथ कई दवाइयां लेने वाले मरीजों के लिए रंग बहुत मददगार साबित होते हैं। अगर सारी गोलियां सफेद रंग की होतीं, तो उन्हें याद रखना मुश्किल हो जाता कि कौन सी दवा सुबह लेनी है और कौन सी रात में। खासतौर पर बुजुर्ग और कमजोर नजर वाले मरीज रंग से आसानी से दवाओं की पहचान कर लेते हैं। (Photo Source: Unsplash)

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    डॉक्टर और फार्मसिस्ट के लिए सहूलियत
    डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ भी रंग से दवाओं को जल्दी पहचान लेते हैं। इससे किसी मरीज को गलत दवा देने की संभावना बहुत कम हो जाती है। यानी दवा का सही रंग, सही दवा को सही मरीज तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता है। (Photo Source: Unsplash)

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    रंगों का मन और शरीर पर असर
    फार्मास्युटिकल कंपनियां दवाओं का रंग सोच-समझकर चुनती हैं। नीला रंग शांति और सुकून का प्रतीक होता है, इसलिए इसे अक्सर नींद लाने वाली या एंटी-एंग्जायटी दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है। (Photo Source: Unsplash)

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    लाल या नारंगी रंग जोश और ऊर्जा का संकेत देते हैं, इसलिए इन्हें एनर्जी बूस्टर या दर्द निवारक दवाओं में प्रयोग किया जाता है। हरा रंग ताजगी और प्राकृतिकता का प्रतीक है, जो अक्सर हर्बल या पाचन संबंधी दवाओं में देखा जाता है। (Photo Source: Unsplash)

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    पोषक दवाओं के रंग
    काली या गहरी भूरी गोलियां ज्यादातर आयरन और विटामिन सप्लीमेंट होती हैं। ये रंग न केवल दवा की पहचान आसान बनाते हैं, बल्कि शरीर में पोषण बढ़ाने के संकेत के रूप में भी काम करते हैं। (Photo Source: Unsplash)

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    दवा की सुरक्षा और गुणवत्ता
    कुछ दवाइयां सूरज की रोशनी में जल्दी खराब हो जाती हैं। इसलिए उनकी कोटिंग गहरे रंग की की जाती है ताकि दवा लंबे समय तक सुरक्षित रहे। इससे उसकी गुणवत्ता और असर बरकरार रहता है। (Photo Source: Unsplash)

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    कड़वाहट और गंध छिपाने के लिए
    कई दवाइयों का स्वाद बहुत कड़वा होता है। ऐसे में उन पर की गई रंगीन कोटिंग स्वाद और गंध को छिपा देती है। इससे मरीजों को दवा निगलने में परेशानी नहीं होती। (Photo Source: Unsplash)

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    बच्चों के लिए खास रंग और फ्लेवर
    बच्चों को दवा खिलाना हमेशा चुनौती भरा काम होता है। इसी कारण बच्चों के लिए स्ट्रॉबेरी, चॉकलेट या ऑरेंज फ्लेवर वाली रंगीन सिरप और टेबलेट बनाई जाती हैं, ताकि वे दवा को खुशी-खुशी ले सकें। (Photo Source: Unsplash)
    (यह भी पढ़ें: क्या आपकी डाइट बढ़ा रही है उम्र? गलत खानपान से स्किन लगने लगती है बूढ़ी, जानें कौन से फूड्स बढ़ाते हैं एजिंग)

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