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क्या आत्मा का कोई वजन होता है? यह सवाल सदियों से लोगों के मन में उठता आया है। धर्म और अध्यात्म हमेशा से कहते आए हैं कि आत्मा अमर है, लेकिन विज्ञान इस बात को मानने से इनकार करता रहा है। (Photo Source: Freepik)
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फिर भी, 1907 में अमेरिका के एक डॉक्टर ने ऐसा प्रयोग किया, जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। इस प्रयोग के बाद यह चर्चा शुरू हुई कि इंसान की आत्मा का वजन 21 ग्राम होता है। (Photo Source: Pexels)
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प्राचीन मिस्र और आत्मा की मान्यता
प्राचीन मिस्र की सभ्यता में माना जाता था कि इंसान की आत्मा मरने के बाद एक लंबे सफर पर निकलती है। इस सफर में आत्मा ‘रा’ (सूर्य देवता) की नाव पर बैठकर ‘हॉल ऑफ डबल ट्रूथ’ तक जाती है। वहां न्याय की देवी इंसान के दिल के वजन की तुलना एक पंख से करती थीं। (Photo Source: Pexels) -
अगर दिल हल्का पाया जाता, यानी इंसान ने सच्चा और पवित्र जीवन जिया होता, तो उसे ओसिरिस के स्वर्ग में जगह मिलती। यानी आत्मा का वजन और उसके कर्मों का सीधा संबंध माना जाता था। यही मान्यता कहीं न कहीं 20वीं सदी की शुरुआत में किए गए एक वैज्ञानिक प्रयोग से भी जुड़ गई। (Photo Source: Unsplash)
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डॉक्टर डंकन मैकडॉगल का प्रयोग
1866 में स्कॉटलैंड में जन्मे डॉक्टर डंकन मैकडॉगल अमेरिका के मैसाच्यूसेट्स में आकर बस गए थे। वे हेवरिल शहर के एक अस्पताल में काम करते थे। वहीं उन्हें आत्मा का वजन मापने का खयाल आया। उन्होंने अस्पताल में मौजूद एक बड़े तराजू पर एक खास बिस्तर फिट किया। (Photo Source: Unsplash) -
यह तराजू इतना सेंसिटिव था कि औंस (28 ग्राम) से भी कम वजन के बदलाव को पकड़ सकता था। उन्होंने 6 ऐसे मरीजों को इस बिस्तर पर लिटाया, जिनकी मौत निकट थी। जैसे ही किसी मरीज की मृत्यु होती, तराजू के आंकड़े दर्ज किए जाते। (Photo Source: Freepik)
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नतीजा क्या निकला?
डॉ. डंकन के अनुसार, मरीजों की मौत के समय अचानक उनके शरीर का वजन कम हो गया। एक मरीज का वजन मौत के समय लगभग 21 ग्राम कम हुआ। कुछ मरीजों में पहले वजन कम हुआ, फिर थोड़ी देर बाद वापस बढ़ गया। (Photo Source: Unsplash) -
एक-दो मामलों में उपकरण सही से एडजस्ट न होने के कारण नतीजे अस्पष्ट रहे। इसी आधार पर डॉ. डंकन ने निष्कर्ष निकाला कि इंसान की आत्मा का वजन होता है और यह करीब 21 ग्राम है। (Photo Source: Freepik)
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जानवरों पर भी किया गया प्रयोग
डॉक्टर डंकन ने यही प्रयोग 15 कुत्तों पर भी किया। हैरानी की बात यह रही कि कुत्तों के शरीर का वजन मौत के बाद जरा भी नहीं बदला। इस आधार पर उन्होंने कहा कि जानवरों में आत्मा नहीं होती। हालांकि, धर्म और दर्शन यह मानते हैं कि हर जीवित प्राणी में आत्मा होती है। (Photo Source: Pexels) -
रिसर्च पर उठे सवाल
यह शोध 1907 में Journal of the American Society for Psychical Research और American Medicine में प्रकाशित हुआ। इसके बाद वैज्ञानिक समुदाय ने इस प्रयोग को खारिज कर दिया। उनके मुताबिक, नमूना (सैंपल) बहुत छोटा था—सिर्फ 6 मरीज। उपकरण पूरी तरह सटीक नहीं थे। (Photo Source: Unsplash) -
मौत का सही समय तय करना भी मुश्किल था। वजन में बदलाव के कई और कारण भी हो सकते थे, जैसे शरीर से निकलने वाली गैसें या पसीना। फिर भी, न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अखबारों ने इसे प्रमुखता से छापा और धार्मिक मान्यताओं से जोड़कर पेश किया। (Photo Source: Unsplash)
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21 ग्राम की आत्मा – रहस्य या सच?
डॉ. डंकन का यह प्रयोग विज्ञान की कसौटी पर भले ही खरा न उतरा हो, लेकिन इसने दुनिया भर में आत्मा को लेकर एक नई बहस छेड़ दी। आज भी “21 ग्राम” आत्मा का वजन माना जाता है और यह विषय लोकप्रिय संस्कृति (फिल्मों, किताबों और कहानियों) में बार-बार सामने आता है। (Photo Source: Unsplash) -
1911 में, द न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि डंकन मैकडॉगल आत्माओं की तस्वीरें लेने के लिए प्रयोग चलाने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने इस क्षेत्र में आगे कोई शोध जारी नहीं रखा और 1920 में उनकी मृत्यु हो गई। उनका प्रयोग दोहराया नहीं गया। (Photo Source: Unsplash)
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धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यता
सनातन धर्म और गीता के अनुसार आत्मा अजर-अमर है, उसका कोई अंत नहीं है। गीता में कहा गया है कि आत्मा का आकार बेहद सूक्ष्म है, बाल की नोक को भी सौ बार बांटा जाए तो भी उससे छोटा। मिस्र की मान्यता थी कि आत्मा का न्याय ‘हॉल ऑफ डबल ट्रुथ’ में होता है और उसका वजन पंख से तुलना कर तय किया जाता है। (Photo Source: Pexels)
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